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Bio Fibre: प्लास्टिक के विकल्प के रूप में उभर रहा बायो फाइबर भी धरती के लिए हो सकता है खतरनाक

नई दिल्ली, 11 नवंबर 2024 – धरती को बचाने के लिए कई लोग और संस्थाएँ प्लास्टिक के विकल्प के रूप में बायो-फाइबर (Bio Fibre) का समर्थन कर रहे हैं। इसे इको-फ्रेंडली या बायोडिग्रेडेबल फाइबर कहा जा रहा है और इसका उपयोग कपड़ों, वेट वाइप्स, पीरियड प्रोडक्ट्स और अन्य कई सामग्रियों में बढ़ता जा रहा है। लेकिन अब एक नई शोध में यह बात सामने आई है कि बायो फाइबर का इस्तेमाल भी पर्यावरण के लिए उतना ही खतरनाक हो सकता है, जितना कि पारंपरिक प्लास्टिक।

लंदन में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि बायो-फाइबर का उपयोग करने से जो माइक्रोफाइबर निकलते हैं, वे हवा, मिट्टी और पानी में मिलकर जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। शोध के अनुसार, कपड़ों को धोने, इन फाइबर को खाद में डालने या अन्य तरीकों से इनका निपटान करने पर ये माइक्रोफाइबर पर्यावरण में फैल जाते हैं और उनके कारण पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है।

केंचुओं पर बायो फाइबर के असर का अध्ययन

इस शोध में खासतौर पर केंचुओं पर बायो-फाइबर के असर का परीक्षण किया गया। केंचुए मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण प्रजाति माने जाते हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि उच्च सांद्रता में बायो-फाइबर जैसे विस्कोस और लियोसेल के संपर्क में आने पर केंचुओं की मृत्यु दर 60% से 80% तक पहुंच गई, जबकि पारंपरिक पॉलिएस्टर फाइबर के संपर्क में आने पर यह संख्या 30% थी। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि बायो-आधारित फाइबर के संपर्क में आने से न केवल केंचुओं की मृत्यु दर बढ़ी, बल्कि इनके प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता

यह शोध ऐसे समय में सामने आया है जब संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक प्लास्टिक संधि को लेकर वार्ताओं का अंतिम दौर बुसान, दक्षिण कोरिया में होने वाला है। शोधकर्ताओं का मानना है कि बायो-फाइबर को पर्यावरण के लिए एक वैकल्पिक समाधान के रूप में बढ़ावा देने से पहले इसकी संभावित खतरों को पूरी तरह से परखा जाना चाहिए। इस शोध ने यह स्पष्ट किया है कि बिना पर्याप्त परीक्षण के नए बायोडिग्रेडेबल उत्पादों को खुले बाजार में उतारना पर्यावरणीय जोखिमों को और बढ़ा सकता है।

आगे का रास्ता: उपयोग से पहले परीक्षण की जरूरत

डॉ. विन्नी कोर्टेन-जोन्स, जो इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका हैं, ने कहा कि “2022 में 320,000 टन से अधिक बायो-आधारित और बायोडिग्रेडेबल फाइबर का उत्पादन हुआ था, और इनमें से काफी मात्रा पर्यावरण में मिल जाएगी। ऐसे में इन उत्पादों के बढ़ते उपयोग को बढ़ावा देने से पहले हमें इन पर गहरे शोध की जरूरत है ताकि इसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का ठीक से मूल्यांकन किया जा सके।”

शोधकर्ताओं ने यह सुझाव दिया है कि बायो-फाइबर के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने से पहले इसे पूरी तरह से परखा जाना चाहिए ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि यह धरती के लिए एक सशक्त और सुरक्षित विकल्प बने।

इस अध्ययन को एनवायरनमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है और यह बायो-प्लास्टिक-रिस्क परियोजना का हिस्सा है, जो प्लायमाउथ विश्वविद्यालय और बाथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

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निष्कर्ष

यह नया शोध एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि धरती को बचाने के लिए नए विकल्पों की तलाश में हमें सतर्क रहना होगा। बायो-फाइबर के संभावित खतरों का आकलन करना और इसे उपयोग से पहले सही तरीके से परखना आवश्यक है, ताकि यह पर्यावरण के लिए हानिकारक न हो।

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