संभल (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 18 दिसंबर को एक और ऐतिहासिक मंदिर का ताला खोला गया, जिससे इलाके में धार्मिक और राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। यह मंदिर 32 साल से बंद था और अब, कोर्ट के आदेश पर फिर से खोला गया। इस मंदिर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई है। मंदिर में भगवान कृष्ण, राधा और हनुमान की मूर्तियां पाई गई हैं, जिनकी पूजा करने के लिए स्थानीय लोग इकट्ठा हुए।
यह बालाजी मंदिर शाही जामा मस्जिद से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और इसका ताला 18 दिसंबर को खोला गया। मंदिर के बाहर करीब 50 लोग पूजा-अर्चना के लिए इकट्ठा हुए। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस मंदिर में मिले मूर्तियों ने इलाके के धार्मिक माहौल को फिर से गरमा दिया है। यह घटना जिले में एक और मंदिर के खुलने के बाद सामने आई है, जिसे हाल ही में जिला प्रशासन ने फिर से खोला था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 14 दिसंबर को भी जिला प्रशासन ने खग्गू सराय इलाके में स्थित एक मंदिर का ताला खोला था, जो कथित तौर पर 1978 से बंद था। अधिकारियों का दावा है कि मंदिर के बंद होने का कारण बिजली चोरी से संबंधित अभियान के दौरान पता चला। इसके बाद, संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से इस मंदिर की वैज्ञानिक जांच की अपील की थी। ASI की एक टीम 19 दिसंबर को मंदिर का दौरा करेगी और उसकी ऐतिहासिकता का मूल्यांकन करेगी।
संबंधित घटनाक्रम में एक दिलचस्प पहलू सामने आया है। खग्गू सराय के मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घरों के उन हिस्सों को खुद ही तोड़ रहे हैं, जो मंदिर परिसर और सड़क के अतिक्रमण में आ रहे थे। एक स्थानीय मुस्लिम निवासी ने कहा, “हमने खुद ही अवैध निर्माण को गिरा दिया, क्योंकि हमें एहसास हुआ कि यह गलत है।” एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने सड़क से सटे अवैध अतिक्रमण को हटाया ताकि इलाके का विकास सही दिशा में हो सके।
यह घटनाक्रम संभल में धार्मिक सद्भाव की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, हालांकि, इससे जुड़े संवेदनशील मुद्दों को लेकर समाज में विभाजन की आशंका भी बनी हुई है। इस घटनाक्रम ने इलाके में धार्मिक अस्मिता और अतिक्रमण से जुड़े सवालों को फिर से उठाया है।
डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि मंदिरों का वैज्ञानिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सर्वेक्षण किया जा रहा है ताकि इस मामले में पूरी पारदर्शिता बनी रहे। ASI की टीम के 19 दिसंबर को मंदिर का दौरा करने के बाद, आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।
हालांकि, इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं धार्मिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं। वहीं, कुछ समाजसेवी इसे सामाजिक समरसता और सहयोग का उदाहरण मान रहे हैं।
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