नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार स्थिरता के बावजूद, पिछले 34 वर्षों में भारत में पेट्रोल की कीमतों में लगभग 10 गुना वृद्धि हुई है। 1990 में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 9.84 रुपये प्रति लीटर थी, जो आज 94.72 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है। इस बीच, अमेरिका में पेट्रोल की कीमतों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है, जो 1990 में 1.14 डॉलर प्रति गैलन थी और वर्तमान में 3.33 डॉलर प्रति गैलन पर पहुंच गई है।
भारतीय और अमेरिकी पेट्रोल कीमतों की तुलना
भारत में पेट्रोल की खुदरा कीमत में टैक्स का बड़ा हिस्सा होता है, जो लगभग 55 रुपये प्रति लीटर है। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए विभिन्न टैक्स इस बढ़ोतरी में योगदान देते हैं। अमेरिका में पेट्रोल की कीमत 1990 के बाद तीन गुना बढ़ी है, जबकि भारतीय उपभोक्ताओं को लगातार बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय संकट और अमेरिकी कीमतें
यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप 2022 में कच्चे तेल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी, जिससे अमेरिका में पेट्रोल की कीमत प्रति गैलन 5.28 डॉलर तक पहुंच गई थी। हालांकि, पिछले साल इसमें कमी आई और यह 4.78 डॉलर प्रति गैलन हो गई। 2016 में अमेरिका में पेट्रोल की कीमत 2.8 डॉलर प्रति गैलन तक गिर गई थी, और 2012 में यह 4.09 डॉलर प्रति गैलन तक पहुंच गई थी।
भारत में पेट्रोल की कीमतें: ऐतिहासिक आंकड़े
- मार्च 1990: 9.84 रुपये प्रति लीटर
- अक्टूबर 1990: 12.23 रुपये प्रति लीटर
- 1991: 14.62 रुपये प्रति लीटर
- 1992: 15.71 रुपये प्रति लीटर
- 1994: 16.78 रुपये प्रति लीटर
- 1996: 21.13 रुपये प्रति लीटर
- 1997: 22.84 रुपये प्रति लीटर
- 1998: 23.94 रुपये प्रति लीटर
- 1999: 23.80 रुपये प्रति लीटर
- 2000 (नवंबर): 28.70 रुपये प्रति लीटर
- 2003: 32.49 रुपये प्रति लीटर
- 2005: 40.49 रुपये प्रति लीटर
- 2006: 47.51 रुपये प्रति लीटर
- 2007: 42.85 रुपये प्रति लीटर
- 2008: 45.56 रुपये प्रति लीटर
- 2010: 47.93 रुपये प्रति लीटर
- 2011: 63.37 रुपये प्रति लीटर
- 2012: 73.18 रुपये प्रति लीटर
- 2018: 78.43 रुपये प्रति लीटर
निष्कर्ष
भारत में पेट्रोल की कीमतों में निरंतर वृद्धि ने आम उपभोक्ता को भारी वित्तीय बोझ उठाने के लिए मजबूर किया है। इसके विपरीत, अमेरिका में पेट्रोल की कीमतें भले ही तीन गुना बढ़ी हैं, लेकिन 2012 के मुकाबले आज की कीमतें कुछ हद तक कम हैं। इस तुलना से स्पष्ट है कि भारत में पेट्रोल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय मानकों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से बढ़ी हैं, जिससे आर्थिक दबाव और महंगाई की समस्याएं उभर रही हैं।