HomeकारोबारBHARAT:- के जीडीपी को लेकर बड़ा अपडेट अर्थव्यवस्था की रफ़्तार हो सकती...

BHARAT:- के जीडीपी को लेकर बड़ा अपडेट अर्थव्यवस्था की रफ़्तार हो सकती है धीमी

नई दिल्ली: भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर हाल की रिपोर्टों में मंदी के संकेत मिले हैं। इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, प्रमुख वित्तीय संस्थानों द्वारा हाल ही में किए गए संशोधनों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ में कमी की संभावना है।

गोल्डमैन सैक्स ने घटाया पूर्वानुमान

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डमैन सैक्स ने भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है। बैंक ने इस साल और अगले साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के पूर्वानुमान में 20 आधार अंकों की कटौती की है। अब गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था कैलेंडर वर्ष 2024 में 6.7 प्रतिशत और 2025 में 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अप्रैल-जून तिमाही में सरकारी खर्च में 35 प्रतिशत की साल-दर-साल कमी हो सकती है, जो इस साल के आम चुनावों से संबंधित है।

RBI ने भी किया अनुमान में बदलाव

आरबीआई ने जून में लोकसभा चुनावों के बाद अपनी पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि, इस पूर्वानुमान में बदलाव देखा गया है। RBI ने 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। यह पहले के लगातार चार तिमाहियों के अनुमान से थोड़े अलग है।https://g.co/kgs/F2K1eN7

ICRA ने भी घटाया ग्रोथ अनुमान

रेटिंग एजेंसी ICRA ने भी भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को संशोधित किया है। ICRA का कहना है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी और शहरी उपभोक्ता विश्वास में गिरावट के कारण वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.0 प्रतिशत पर आ सकती है। यह पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही के 7.8 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है। ICRA ने बताया कि संसदीय चुनावों से कुछ क्षेत्रों में अस्थायी सुस्ती और सरकारी पूंजीगत व्यय में कमी के चलते यह मंदी आ सकती है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि भारत की आर्थिक वृद्धि की दर में संभावित कमी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नीति निर्माताओं को इन संकेतों को ध्यान में रखते हुए उचित उपाय करने होंगे ताकि अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। समय के साथ इन अनुमानों में बदलाव भी संभव है, और अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ताजे आंकड़े सामने आ सकते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular