नई दिल्ली: भारत के प्रमुख उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल अब दिवालिया हो चुकी है, एक समय जब यह एचडीएफसी से भी बड़ी थी। सेबी ने अंबानी पर 5 साल का प्रतिबंध और 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, इसके साथ ही कंपनी की वित्तीय स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई है।
रिलायंस कैपिटल का शिखर और पतन
2007 में, रिलायंस कैपिटल ने एचडीएफसी को पीछे छोड़ते हुए 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का बाजार पूंजीकरण प्राप्त किया था। अंबानी ने उस समय भरोसे के साथ दावा किया था कि रिलायंस कैपिटल भारत के शीर्ष तीन वित्तीय संस्थानों में से एक है। लेकिन, वैश्विक वित्तीय संकट ने 2008 में वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
अनिल अंबानी का ADAG ग्रुप उस समय आक्रामक विस्तार में लगा हुआ था। इस दौरान, ग्रुप ने कई क्षेत्रों में निवेश किया और स्टीवन स्पीलबर्ग के ड्रीमवर्क्स के साथ जॉइंट वेंचर भी बनाया। हालांकि, ग्रुप की इस आक्रामक रणनीति ने उसे वित्तीय दबाव में डाल दिया और कई सेक्टरों में गलत समय पर निवेश ने स्थिति को और खराब कर दिया।
वित्तीय संकट और दिवालियापन की ओर बढ़ते कदम
2018 में, रिलायंस कैपिटल की वित्तीय समस्याएं उस समय सामने आईं जब रेटिंग एजेंसी केयर ने कंपनी को डिफॉल्ट की कैटगरी में डाल दिया। IL&FS और DHFL की विफलताओं के बाद लिक्विडिटी की कमी ने कंपनी की स्थिति को और भी खराब कर दिया। कंपनी के ऑडिटर PwC ने FY19 की बैलेंस शीट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिससे कंपनी की गवर्नेंस से संबंधित समस्याएं उजागर हुईं।https://youtu.be/SQ5PWXE2BZo?si=YuVEDSIwnTZo9FlL
2019 में, अनिल अंबानी ने खुद को ब्रिटेन की अदालत में दिवालिया घोषित किया। इसके बाद 2021 में, रिलायंस कैपिटल की वित्तीय स्थिति और भी खराब हो गई, जब इसकी सहायक कंपनियों ने डिफॉल्ट करना शुरू किया। नवंबर 2021 में, RBI ने हस्तक्षेप किया और रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को भंग कर दिया, कंपनी को इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग में भेज दिया गया।
SEBI का एक्शन और भविष्य की अनिश्चितता
SEBI ने हाल ही में अनिल अंबानी और उनके साथियों पर कड़ी कार्रवाई की है, जिसमें 5 साल का प्रतिबंध और 25 करोड़ रुपये का जुर्माना शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, अंबानी और उनके सहयोगियों ने रिलायंस होम फाइनेंस के फंड की हेराफेरी की है।