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डॉ. चरणदास महंत के गृह नगर सारागांव में नशे का कारोबार बेकाबू, पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल

जांजगीर-चांपा
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के गृह नगर सारागांव में नशे का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में नए थाना प्रभारी की पदस्थापना के बाद यह उम्मीद जगी थी कि नशे का अवैध धंधा बंद होगा और कारोबारियों पर अंकुश लगेगा। लेकिन हकीकत यह है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है।

थाने के पास ही बिक रही अवैध शराब

स्थानीय लोगों के अनुसार, सारागांव में थाने से महज कुछ दूरी पर ही अवैध शराब की दुकानें चल रही हैं। यहां करीब 10 से अधिक स्थान ऐसे हैं जहां कोडिन सिरप, गांजा, महुआ शराब और नशीली गोलियों की खुलेआम बिक्री हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद नशे का कारोबारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

शराब दुकान बंद होने के बाद बढ़ा गोरखधंधा

गौरतलब है कि जब से सरकार ने शराब दुकानें बंद की हैं, तब से सारागांव में अवैध शराब का कारोबार तेजी से बढ़ गया है। एक दुकान बंद होने के बाद यहां छह से सात ठिकानों पर शराब बेची जाने लगी। बताया जा रहा है कि चोरिया की शराब भट्ठी से यहां देसी, अंग्रेजी और महुआ शराब की बड़ी सप्लाई की जाती है।

नई उम्मीदें और पुराने ढर्रे

लोगों का कहना है कि पुराने थाना प्रभारी से उन्हें ज्यादा उम्मीद नहीं थी। लेकिन जब नए थाना प्रभारी की नियुक्ति हुई तो लोगों को भरोसा था कि नशे का कारोबार करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। शुरुआती दिनों में छिटपुट कार्रवाई भी की गई, लेकिन जल्द ही सब पुराने ढर्रे पर लौट आया और नशे का धंधा फिर से फल-फूलने लगा।

नशे की वजह से कई लोगों की मौत

नगर में नशे के कारण अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि एल्प्राक्स टेबलेट और कोडिन सिरप का अत्यधिक सेवन यहां बड़ी समस्या बन चुका है। हर साल कोई न कोई व्यक्ति नशे के चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहा है। पिछले साल कोडिन सिरप बेचने वाले एक मेडिकल स्टोर संचालक को जेल भी भेजा गया था।

पुलिस का दावा – होगी कड़ी कार्रवाई

इस पूरे मामले पर सारागांव थाना प्रभारी सुभाष चौबे का कहना है,
“मेरी पदस्थापना के बाद कई जगह छापेमारी की गई है और कई लोगों को जेल भेजा गया है। यदि इस तरह की सूचनाएं सामने आ रही हैं तो हम नए सिरे से तहकीकात करेंगे और नशे के कारोबार में पूरी तरह से अंकुश लगाया जाएगा।”

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हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि सिर्फ बयानबाजी और छिटपुट कार्रवाई से समस्या हल नहीं होगी। जब तक नशे के बड़े कारोबारियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक सारागांव की युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाएगी।

सारागांव की यह स्थिति प्रशासन और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि डॉ. चरणदास महंत जैसे बड़े नेता के गृह नगर में नशे का इस तरह खुलेआम कारोबार होना कहीं न कहीं प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है।

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