न्यूयॉर्क।
भारतीय टेनिस प्रेमियों के लिए यूएस ओपन 2025 का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। भारत के युकी भांबरी ने इस बार मेंस डबल्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए इतिहास रचा और अपने करियर का पहला ग्रैंड स्लैम सेमीफाइनल खेला। हालांकि, यह यात्रा फाइनल तक नहीं पहुंच सकी। शुक्रवार को लुई आर्मस्ट्रॉन्ग स्टेडियम में खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में भांबरी और उनके न्यूजीलैंड के जोड़ीदार माइकल वीनस को ब्रिटेन की अनुभवी जोड़ी नील स्कूप्स्की और जो सैलिसबरी के हाथों 7-6(2), 6-7(5), 4-6 से हार का सामना करना पड़ा।
रोमांच से भरा मुकाबला
सेमीफाइनल की शुरुआत बेहद कड़ी टक्कर के साथ हुई। पहला सेट टाईब्रेक तक खिंचा, लेकिन वहां भांबरी-वीनस की जोड़ी ने कमाल दिखाया। उन्होंने केवल दो अंक गंवाए और 7-6(2) से पहला सेट जीतकर बढ़त बना ली। भारतीय समर्थकों को उम्मीद थी कि यह मैच ऐतिहासिक जीत में बदल सकता है।
दूसरे सेट में भांबरी और वीनस ने और भी आक्रामक खेल दिखाया। शुरुआती गेम में ही विपक्षी जोड़ी की सर्विस तोड़कर उन्होंने बढ़त बना ली। लग रहा था कि उलटफेर तय है, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी सर्विस गंवा दी। खेल एक बार फिर बराबरी पर आ गया और मुकाबला टाईब्रेक तक पहुंचा। इस बार दबाव में भांबरी-वीनस पिछड़ गए और स्कूप्स्की-सैलिसबरी ने 7-6(5) से दूसरा सेट अपने नाम कर लिया।
तीसरे और निर्णायक सेट में ब्रिटिश जोड़ी का अनुभव और तालमेल साफ नजर आया। खासकर नेट पर उनका दबदबा इतना मजबूत रहा कि भांबरी-वीनस ज्यादा अवसर नहीं निकाल सके। हालांकि, 5-3 की बढ़त पर स्कूप्स्की-सैलिसबरी लगातार तीन मैच प्वाइंट गंवा बैठे, लेकिन आखिरकार 6-4 से सेट और मैच जीतकर फाइनल में जगह बना ली।

भारतीय चुनौती का अंत
युकी भांबरी इस साल यूएस ओपन में आखिरी भारतीय खिलाड़ी थे। उनका सफर यहीं समाप्त हुआ। इससे पहले, भारतीय जोड़ीदार अनिरुद्ध चंद्रशेखर और विजय सुंदर प्रशांत पहले ही बाहर हो चुके थे। उन्हें ब्राजील के फर्नांडो रोमबोली और ऑस्ट्रेलिया के जॉन-पैट्रिक स्मिथ की जोड़ी ने 6-4, 6-3 से हराया था।
इसी तरह, भारतीय दिग्गज रोहन बोपन्ना और उनके मोनाको के साथी रोमेन अर्नेओडो भी शुरुआती दौर में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गए। वहीं, अर्जुन काधे और उनके इक्वाडोर के पार्टनर डिएगो हिडाल्गो का सफर भी पहले ही मैच में समाप्त हो गया था। ऐसे में भांबरी-वीनस से देशवासियों को सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं, लेकिन वह सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सके।
ऐतिहासिक उपलब्धि
हालांकि हार निराशाजनक रही, लेकिन भांबरी ने अपने करियर का सबसे बड़ा मुकाम हासिल किया। ग्रैंड स्लैम सेमीफाइनल तक पहुंचना किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ी उपलब्धि है। भांबरी लंबे समय से चोटों और उतार-चढ़ाव से जूझते रहे हैं। ऐसे में उनका यह प्रदर्शन भारतीय टेनिस के लिए नई उम्मीद जगाता है।
टेनिस विशेषज्ञों का मानना है कि भांबरी का यह प्रदर्शन आने वाले टूर्नामेंट्स के लिए उन्हें आत्मविश्वास देगा। भले ही सपना टूटा, लेकिन उनका यह सफर भारतीय टेनिस इतिहास में दर्ज हो गया है।
फाइनल में भिड़ंत
अब यूएस ओपन मेंस डबल्स का खिताबी मुकाबला बेहद रोमांचक होने वाला है। नील स्कूप्स्की और जो सैलिसबरी की जोड़ी का सामना मार्सेल ग्रानोलर्स और होरासियो जेबालोस से होगा। ग्रानोलर्स-जेबालोस की जोड़ी ने गैरवरीय अमेरिकी जोड़ी रॉबर्ट कैश और जेजे ट्रेसी को तीन सेटों के संघर्ष (6-3, 3-6, 6-1) में हराकर फाइनल में प्रवेश किया।
सभी की निगाहें अब इस बात पर होंगी कि क्या ब्रिटिश जोड़ी अपने अनुभव का फायदा उठाकर खिताब जीत पाएगी, या फिर स्पेनिश-आर्जेंटीनी जोड़ी बड़ा उलटफेर करेगी।
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युकी भांबरी का सेमीफाइनल तक का सफर भारतीय टेनिस के लिए गर्व का विषय है। भले ही खिताब की राह यहीं थम गई, लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि मेहनत और जज्बे से भारतीय खिलाड़ी ग्रैंड स्लैम में किसी भी स्तर तक पहुंच सकते हैं। अब उम्मीद है कि आने वाले समय में भारतीय टेनिस खिलाड़ी इस मुकाम को और आगे ले जाएंगे।