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“Zomato को ‘पकाया’ दीपेंदर गोयल ने, लेकिन असली ‘स्वाद’ चखने का मजा संजीव बिखचंदानी ने लिया”

Zomato, 2 सितंबर 2024:– Zomato ने भले ही भारतीय खाद्य सेवाओं के क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल किया हो, लेकिन इसके पीछे का ‘स्वाद’ चखने का असली मजा एक और शख्स ले रहा है। इस शख्स का नाम है संजीव बिखचंदानी (Sanjeev Bikhchandani), जिन्होंने Zomato को अपने शुरुआती फंडिंग से ‘पकाया’ और आज कंपनी के सबसे बड़े शेयरहोल्डर हैं। लेकिन संजीव की कहानी केवल Zomato तक सीमित नहीं है; वे ‘डॉट कॉम’ के किंग भी हैं।

Zomato के फाउंडर और संजीव की कहानी

Zomato का मार्केट कैप अब 2 लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच चुका है और कंपनी ने हाल ही में Paytm का टिकट बिजनेस 2000 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। इसके अलावा, Zomato के कॉन्सर्ट में सिंगर Dua Lipa परफॉर्म करेंगी। ऐसे में Zomato का ‘बड़ा’ होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन इस सफलता के पीछे संजीव बिखचंदानी का हाथ है, जिन्होंने दीपेंदर गोयल के Zomato के लिए शुरुआती फंडिंग प्रदान की।

डॉट कॉम के धुरंधर

Sanjeev Bikhchandani, जिनकी नेटवर्थ फोर्ब्स के अनुसार 3.8 बिलियन डॉलर (लगभग 30 हजार करोड़ रुपये) है, Info Edge नामक पोर्टल के मालिक हैं। Info Edge के अंतर्गत कई प्रमुख वेबसाइट्स जैसे Naukri.com, Jeevansathi.com, 99acres.com, और Shiksha.com शामिल हैं। संजीव ने इन पोर्टल्स की शुरुआत तब की जब इंटरनेट बहुत सीमित था और मोबाइल ऐप्स का जमाना भी नहीं था।

Zomato

कैसे शुरू हुआ Zomato का सफर

Zomato का जन्म FOODIEBAY के रूप में हुआ था, जिसे संजीव बिखचंदानी ने 2008 में 1 मिलियन डॉलर की फंडिंग दी थी। दीपेंदर गोयल, जो कि उस समय Bain Consulting में काम कर रहे थे, ने Zomato का आइडिया तब सोचा जब उन्होंने अपने ऑफिस में रेस्टोरेंट मेनू को ऑनलाइन डालकर लंच ऑर्डर करने की प्रक्रिया को सरल बनाया। संजीव ने FOODIEBAY को देखा और उसमें निवेश किया, जो बाद में Zomato के रूप में विकसित हुआ।

Zomato का विकास और संजीव की हिस्सेदारी

संजीव बिखचंदानी ने Zomato को लगातार फंडिंग जारी रखी, जिससे दीपेंदर गोयल का स्टार्टअप भारत का पहला यूनिकॉर्न बना। Zomato की लिस्टिंग के समय संजीव की हिस्सेदारी 14,918 करोड़ रुपये की थी और लिस्टिंग के बाद इसमें 5,221 करोड़ रुपये और जुड़े, जिससे कुल हिस्सेदारी 20,000 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गई।

संजीव की दूसरी बड़ी कहानी

इसके अलावा, संजीव की एक और दिलचस्प कहानी है जब उन्होंने Policybazaar को केवल 45 मिनट में कागज देखकर 20 करोड़ रुपये का चेक फाड़ दिया था। यह कहानी भी उनकी निवेश क्षमता और दूरदर्शिता को दर्शाती है।

निष्कर्ष

Zomato की सफलता की कहानी में दीपेंदर गोयल का योगदान निर्विवाद है, लेकिन इस सफलता की असली ‘स्वाद’ संजीव बिखचंदानी ने चखा है। उन्होंने अपने निवेश के जरिए न केवल Zomato को ‘पकाया’ बल्कि एक बड़ी फाइनेंशियल उपलब्धि भी हासिल की। संजीव बिखचंदानी की कहानी यह साबित करती है कि एक सही निवेश और दूरदर्शिता से एक साधारण आइडिया को विशाल सफलता में बदला जा सकता है।

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