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टैक्सपेयर्स की उम्मीदें और विशेषज्ञों की वकालत – HRA, धारा 80C में वृद्धि की संभावना

नई दिल्ली 1 फरवरी 2025 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं। इस बजट का इंतजार देश भर के टैक्सपेयर्स और आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा बड़े ध्यान से किया जा रहा है। इस बार के बजट में कुछ प्रमुख बदलावों की उम्मीद जताई जा रही है, जैसे कि HRA (हाउस रेंट अलाउंस) को नई कर व्यवस्था में शामिल करना, धारा 80C में कर कटौती की सीमा बढ़ाना, और मानक कटौती (Standard Deduction) को 1 लाख रुपये तक बढ़ाना।

नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था: टैक्सपेयर्स के लिए क्या बदलाव हो सकते हैं?

केंद्रीय बजट 2020 में शुरू की गई नई कर व्यवस्था का उद्देश्य टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाना था, जहां पुरानी व्यवस्था में उपलब्ध कुछ छूटों को हटाकर कम कर दरें पेश की गईं। नई कर व्यवस्था के तहत वेतनभोगी कर्मचारियों को स्टैंडर्ड डिडक्शन और HRA जैसी छूटों से वंचित कर दिया गया था।

नई कर व्यवस्था बनाम पुरानी कर व्यवस्था के बीच के अंतर को समझने के लिए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि पुरानी व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारियों को 50,000 रुपये की मानक कटौती मिलती है, जो पेंशनभोगियों पर भी लागू होती है। वित्तमंत्री ने बजट 2024 में इस कटौती को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया था, और अब उम्मीद जताई जा रही है कि इसे 1 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

धारा 80C: बचत और निवेश के अवसर

आयकर अधिनियम की धारा 80C करदाताओं को अपनी कर योग्य आय को कम करने के लिए विभिन्न बचत और निवेश विकल्पों का उपयोग करने की अनुमति देती है। इस धारा के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती का दावा किया जा सकता है। इसके तहत पात्र निवेशों में लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम (LIC), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), और कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) जैसे विकल्प शामिल हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जा सकता है, जिससे करदाताओं को ज्यादा राहत मिलेगी।

HRA छूट: नई कर व्यवस्था में सुधार की मांग

हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की छूट एक महत्वपूर्ण कर लाभ है, जो वर्तमान में केवल पुरानी कर व्यवस्था के तहत उपलब्ध है। नई कर व्यवस्था में HRA छूट को शामिल करने की मांग उठ रही है, खासकर उन करदाताओं के लिए जो भारी आवासीय खर्चों का सामना कर रहे हैं।

HRA की छूट की गणना निम्नलिखित तीन बिंदुओं में से सबसे कम राशि के आधार पर की जाती है:

  1. वास्तविक प्राप्त HRA
  2. बेसिक सैलरी का 50% (गैर-मेट्रो निवासियों के लिए 40%)
  3. किराए का भुगतान किया गया राशि, जो मूल वेतन का 10% घटाई जाती है

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अगर HRA को नई कर व्यवस्था में शामिल किया जाता है, तो यह करदाताओं के लिए बड़ी राहत साबित होगा, खासकर उन लोगों के लिए जो उच्च किराए का भुगतान कर रहे हैं।

क्या उम्मीद की जा सकती है बजट 2025 से?

केंद्र सरकार बजट 2025 में इन सुधारों को लागू कर सकती है, जिससे टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी और नई कर व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाया जा सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, धारा 80C में कटौती की सीमा को बढ़ाकर और HRA को नई कर व्यवस्था में शामिल करके, सरकार नागरिकों को अधिक निवेश और बचत करने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।

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बजट 2025 में इन सुधारों का समावेश होने से, करदाताओं को एक बेहतर और सुविधाजनक कर व्यवस्था का लाभ मिल सकता है।

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