‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ विधेयक पर चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की दूसरी बैठक 31 जनवरी, 2025 को नई दिल्ली के संसद एनेक्सी भवन के मुख्य समिति कक्ष में दोपहर 3 बजे होगी। यह बैठक संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की जांच के लिए बुलाई गई है।
पहली बैठक और विधेयक की पृष्ठभूमि
- पहली बैठक 8 जनवरी, 2025 को आयोजित हुई थी।
- इसमें कानून और न्याय मंत्रालय ने विधेयक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और चुनाव सुधारों पर प्रस्तुति दी।
- प्रस्तुति में चुनावी खर्चों को कम करने और स्थिर शासन सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
- विपक्षी और सत्तारूढ़ दलों के बीच विधेयक के संभावित प्रभावों को लेकर गहन बहस हुई।
सदस्य और उनकी भूमिकाएं
जेपीसी में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी के कल्याण बनर्जी, और भाजपा के पीपी चौधरी, बांसुरी स्वराज, अनुराग सिंह ठाकुर जैसे लोकसभा सदस्य शामिल हैं।
राज्यसभा के सदस्य भी इस पैनल का हिस्सा हैं।

विधेयक का उद्देश्य
- ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का उद्देश्य देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है।
- इससे चुनाव खर्चों में कमी और प्रशासनिक स्थिरता लाने की उम्मीद है।
- शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक, 2024 पेश किए गए।
विपक्ष की चिंताएं
- विपक्ष का तर्क है कि यह विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ है।
- उनका मानना है कि यह सत्तारूढ़ दल को अनुचित लाभ देगा और क्षेत्रीय दलों की स्वायत्तता को कम कर सकता है।
- एक साथ चुनाव कराने से राज्यों की चुनावी प्रक्रिया पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ सकता है।

आगे की प्रक्रिया
संयुक्त समिति की आगामी बैठक में विधेयक पर विस्तृत चर्चा होगी और विभिन्न सुझावों पर विचार किया जाएगा। इसके बाद रिपोर्ट तैयार कर संसद को सौंपी जाएगी।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक भारतीय लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। इस पर विचार-विमर्श और चर्चा से संबंधित सभी पक्षों की चिंताओं को समझने और समाधान खोजने का प्रयास होगा।