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इजरायल ने स्वीकार की भारतीय मजदूरों को शुरुआती कठिनाइयों की बात, अब सब ठीक है

इजरायल की सरकार ने यह स्वीकार किया है कि द्विपक्षीय समझौते के तहत इजरायल गए भारतीय मजदूरों को शुरुआती दौर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इजरायली पॉपुलेशन और इमीग्रेशन अथॉरिटी (PIBA) ने एक प्रेस रिलीज जारी कर यह स्पष्ट किया कि सांस्कृतिक और भाषाई अंतर के कारण भारतीय कंस्ट्रक्शन मजदूरों को प्रारंभिक समय में समस्याओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, अब अधिकतर ठेकेदार और कंपनियां भारतीय श्रमिकों से संतुष्ट हैं।

इजरायल:-संतोषजनक स्थिति की पुष्टि

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, PIBA की प्रेस रिलीज को इजरायली दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया है। प्रेस रिलीज में बताया गया है कि भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय योजना के तहत इजरायल आए कंस्ट्रक्शन मजदूरों की स्थिति में सुधार हुआ है। इजरायल को उम्मीद है कि अगले 1000 भारतीय कंस्ट्रक्शन मजदूर जल्दी ही इजरायल पहुंचेंगे।

उद्योग क्षेत्र में बदलाव और समर्थन

इजरायली इमीग्रेशन अथॉरिटी ने भारतीय मजदूरों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें अस्थायी रूप से इंडस्ट्रियल सेक्टर में रजिस्ट्रेशन करने की अनुमति प्रदान की है। इस क्षेत्र में अतिरिक्त श्रमिक बल की आवश्यकता है, जिससे भारतीय मजदूरों को विकल्प उपलब्ध कराया गया है।

PIBA ने प्रेस रिलीज को एक पत्र के रूप में जारी किया है, जिसे PIBA के महानिदेशक इयाल सिसो ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के CEO मणि तिवारी को लिखा है। NSDC को सरकार से सरकार (G2G) हायरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। फिलिस्तीन के मजदूरों पर प्रतिबंध के बाद इजरायल के कंस्ट्रक्शन सेक्टर में श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए भारत से मजदूरों को लाने की योजना शुरू की गई थी।

NSDC के प्रतिनिधियों की मंजूरी

NSDC ने PIBA से अनुरोध किया था कि उनके चार प्रतिनिधियों को शुरुआती 90 दिनों के लिए इजरायल में रहने की अनुमति दी जाए, ताकि भविष्य में किसी भी समस्या से निपटने में सहायता मिल सके। PIBA ने NSDC के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

पुनर्निर्देशन और समस्याएं

पिछले रिपोर्ट्स में कहा गया था कि इजरायल ने भारतीय मजदूरों को कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए चयनित किया था, लेकिन स्किल टेस्ट पास करने के बावजूद कई मजदूरों को कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए योग्य नहीं पाया गया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें अकुशल और इंडस्ट्रियल सेक्टर में शिफ्ट कर दिया गया, और 500 से अधिक मजदूर भारत लौट आए।

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हालांकि, अब स्थिति में सुधार हुआ है और भारतीय मजदूरों के लिए इजरायल में काम करने के अवसर बेहतर हो गए हैं।

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