अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना दावा दोहराया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक युद्धविराम कराने में मदद की थी। रियाद में आयोजित यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को तनाव कम करने के लिए व्यापारिक प्रोत्साहन देने की पेशकश की थी। उन्होंने कहा, “चलो व्यापार करते हैं। दोनों देशों के पास मजबूत, समझदार और अच्छे नेता हैं।”
अमेरिका की मध्यस्थता का दावा
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संघर्षविराम कराने में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि सब कुछ रुक गया है और उम्मीद है कि ऐसा ही बना रहेगा। ट्रंप ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वांस को भी इस प्रयास के लिए धन्यवाद दिया।
भारत का पलटवार
भारत सरकार ने ट्रंप के दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर हुई बातचीत में व्यापार का कोई मुद्दा नहीं उठा। जायसवाल ने कहा कि सीजफायर पाकिस्तान की अपील पर हुआ था और इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं थी।

ट्रंप ने अपनी चार दिवसीय पश्चिम एशिया यात्रा की शुरुआत सऊदी अरब से की। उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात कर $142 अरब (लगभग ₹11.8 लाख करोड़) का रक्षा समझौता किया। इसके तहत अमेरिका सऊदी अरब को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण प्रदान करेगा।
मध्य-पूर्व नीति पर जोर
यह दौरा ट्रंप की मध्य-पूर्व नीति के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने, गाजा युद्ध खत्म कराने और तेल कीमतों को नियंत्रण में रखने के प्रयासों का हिस्सा है। ट्रंप की यह यात्रा सऊदी अरब, कतर और यूएई तक फैली है।
ट्रंप के इस दावे ने एक बार फिर भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों को लेकर चर्चाओं को हवा दी है। भारतीय पक्ष ने अमेरिकी हस्तक्षेप के दावे को खारिज कर स्पष्ट किया कि सीजफायर पाकिस्तान की पहल थी।