नई दिल्ली: हर साल हजारों भारतीय बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका की ओर रुख करते हैं, लेकिन यह यात्रा आसान नहीं होती। अमेरिकी कस्टम और बॉर्डर सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के अनुसार, 2023 में 96,917 भारतीयों को अमेरिकी सीमा में घुसने की कोशिश में पकड़ा गया। इनमें से कई लोग ‘डंकी रूट’ का उपयोग करके अमेरिका पहुंचने की कोशिश करते हैं, जो कि एक बेहद खतरनाक और कठिन मार्ग है।
‘डंकी रूट’: एक खतरनाक यात्रा
‘डंकी रूट’ का नाम हाल ही में शाहरुख खान की फिल्म के जरिए सुर्खियों में आया था। यह मार्ग घने जंगलों और उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरता है और इसमें शामिल देशों में पनामा, कोस्टा रिका, अल साल्वाडोर और ग्वाटेमाला जैसे मध्य अमेरिकी देश शामिल हैं। ये देश भारतीयों के लिए एक ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में काम करते हैं, जो आगे अमेरिका की ओर यात्रा करते हैं।
एक एजेंट के मुताबिक, इस खतरनाक यात्रा में 10 से 12 प्रतिशत लोग प्राकृतिक कठिनाइयों या माफिया के हमलों में मारे जाते हैं। मानव तस्कर प्रति व्यक्ति लगभग 50 हजार से 1 लाख डॉलर (40 लाख से 80 लाख रुपये) तक की फीस लेते हैं। इस मार्ग की गंभीरता को देखते हुए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इस यात्रा के दौरान कई लोगों की जान चली जाती है।

महिलाओं और लड़कियों की दुर्दशा
पर यौन हमलों का सामना करना पड़ता है। इन घटनाओं की अक्सर रिपोर्ट नहीं की जाती और आरोपियों को सजा भी नहीं मिलती। यह स्थिति प्रवासियों की बेबसी और उनके साथ हो रहे अत्याचारों की गंभीरता को दर्शाती है।
मलकीत सिंह की त्रासदी
30 वर्षीय टेक ग्रेजुएट मलकीत सिंह के परिवार ने अमेरिका भेजने के लिए अपनी संपत्ति बेच दी थी। लेकिन मलकीत का सपना अधूरा रह गया। वे ‘डंकी रूट’ के दौरान तस्करों के हाथों मारे गए। यह दुखद घटना इस बात की पुष्टि करती है कि इस रास्ते पर यात्रा करना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
अवैध प्रवास के अन्य रास्ते*
अमेरिका पहुंचने के लिए केवल ‘डंकी रूट’ ही नहीं है। कुछ प्रवासी कनाडा के रास्ते भी अमेरिका में प्रवेश करते हैं, जबकि अन्य ब्राजील का ट्रांजिट रूट उपयोग करते हैं। बावजूद इसके, भारतीय नागरिक अमेरिका की अवैध प्रवासी सूची में तीसरे स्थान पर हैं।
अंतिम विचार
‘डंकी रूट’ जैसे अवैध मार्गों का उपयोग करके अमेरिका पहुंचने की चाह रखने वाले लोगों को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बेहतर जीवन की चाहत में वे अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं, लेकिन यह यात्रा न केवल खतरनाक होती है बल्कि कई बार अत्यंत दर्दनाक भी साबित होती है। भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति को बेहतर ढंग से समझने और सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।