डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को वॉशिंगटन डी.सी. के कैपिटल रोटुंडा में 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि आने वाले चार साल अमेरिका को महान बनाने की दिशा में अहम होंगे। हालांकि, शपथ ग्रहण के कुछ घंटों बाद ही ट्रंप और उनके करीबी सहयोगी एलन मस्क को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा है।
DOGE पर विवाद
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित “Department of Government Efficiency” (DOGE) योजना विवादों के घेरे में है। इसका नेतृत्व एलन मस्क कर रहे हैं। DOGE का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में 2 ट्रिलियन डॉलर की कटौती, नौकरशाही को कम करना और संघीय एजेंसियों का पुनर्गठन करना है। हालांकि, यह योजना संघीय कर्मचारियों की नौकरियों पर गहरा असर डाल सकती है, जिससे कई सरकारी कर्मचारी और उनके संगठनों में असंतोष फैल रहा है।
सरकारी नियमों का पालन न होने का आरोप
अमेरिकन फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट एम्प्लॉइज (AFGE) ने DOGE पर आरोप लगाया है कि यह संघीय नियमों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहा। AFGE ने कोर्ट से अपील की है कि DOGE को सलाहकार समिति के रूप में काम करने से तब तक रोका जाए जब तक यह सभी कानूनी मानकों को पूरा नहीं करता।

एलन मस्क की भूमिका पर सवाल
DOGE में एलन मस्क की सक्रिय भूमिका को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति होने के नाते मस्क की योजनाओं पर आशंका जताई जा रही है कि उनके निर्णय सरकारी कर्मचारियों की नौकरियों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
सरकारी कर्मचारियों की नौकरी के लिए खतरा
AFGE का कहना है कि DOGE के तहत की जाने वाली खर्च कटौती संघीय कर्मचारियों की नौकरियों को खतरे में डाल सकती है। इस योजना ने कर्मचारियों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ा दी है, और वे इसके संचालन पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं।

अदालत में मामला
AFGE ने अदालत में याचिका दायर कर DOGE की कार्यप्रणाली पर रोक लगाने की अपील की है। संगठन का कहना है कि बिना पारदर्शी प्रक्रिया और कानूनी मानकों का पालन किए बिना इस योजना को लागू करना उचित नहीं है।
ट्रंप प्रशासन के लिए DOGE की आलोचना और इससे जुड़े विवाद एक नई चुनौती हैं। सरकारी खर्चों में कटौती और नौकरशाही को कम करने की यह योजना भले ही प्रशासन के लिए एक प्राथमिकता हो, लेकिन कर्मचारियों और उनके अधिकारों की रक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत और प्रशासन इस विवाद को कैसे संभालते हैं।