पाकिस्तान इस समय भयंकर प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। देशभर में हो रही मूसलाधार बारिश ने हालात को बेहद गंभीर बना दिया है। राजधानी इस्लामाबाद समेत कई शहरों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान मौसम विज्ञान विभाग (पीएमडी) ने अगले 12 से 24 घंटों के लिए भारी बारिश और शहरी बाढ़ की चेतावनी जारी की है। खासकर पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में स्थिति और बिगड़ सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून के आखिर से लगातार हो रही बारिश के चलते अब तक 883 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि करीब 1,200 लोग घायल हुए हैं। बुधवार रात से ही अलग-अलग घटनाओं में दो और बच्चों की मौत हो गई, जिनमें से एक बच्चा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और दूसरा इस्लामाबाद का था।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और स्थानीय प्रशासन ने आम जनता को सतर्क रहने की अपील की है। लाहौर, गुजरांवाला, रावलपिंडी और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों में शहरी बाढ़ का खतरा बताया जा रहा है। वहीं, पंजाब और केपी प्रांतों में सबसे ज्यादा तबाही मची है। अकेले खैबर पख्तूनख्वा में अब तक 488 लोगों की मौत और 360 लोगों के घायल होने की पुष्टि की गई है। सिंध, गिलगित-बाल्टिस्तान, पीओके और बलूचिस्तान में भी लगातार मौतों का सिलसिला जारी है। एक दिन में ही सिंध में 58, गिलगित-बाल्टिस्तान में 41, पीओके में 38, बलूचिस्तान में 26 और इस्लामाबाद में 9 लोगों की जान गई।
पंजाब में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। पीएमडी के मुताबिक, सतलुज नदी में गंदा सिंह वाला क्षेत्र में असाधारण रूप से बाढ़ का स्तर ऊंचा बना हुआ है। चिनाब नदी में भी पानी का तेज बहाव है, और आशंका है कि आने वाले दिनों में पंजाब के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ेगी। पंजनद नदी, जहां चिनाब, रावी और सतलुज मिलती हैं, में 4 से 5 सितंबर के बीच जलस्तर और बढ़ने की संभावना जताई गई है। इस वजह से हजारों एकड़ कृषि भूमि डूब सकती है और सैकड़ों गांव जलमग्न हो सकते हैं।

सिंध प्रांत में भी हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। गुड्डू इलाके में सिंधु नदी का जलस्तर 6 या 7 सितंबर तक बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इसके चलते सिंध के कई जिलों में बाढ़ का खतरा और गहरा जाएगा। पीडीएमए की रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब के झांग जिले में चिनाब नदी की बाढ़ ने 261 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है, जबकि मुजफ्फरगढ़ में कम से कम 24 गांव डूब गए हैं। पानी के तेज बहाव ने हजारों घरों को तबाह कर दिया है।
पाकिस्तान में इस प्राकृतिक आपदा से अब तक 9,200 से ज्यादा घर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। इनमें से 4,700 घर खैबर पख्तूनख्वा और 2,100 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गिरे हैं। वहीं, 6,000 से ज्यादा मवेशी बह गए हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में आजीविका पर गहरा संकट खड़ा हो गया है। इसके अलावा, 240 से ज्यादा पुल और 670 किलोमीटर लंबी सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। नतीजतन, राहत और बचाव कार्यों में बड़ी मुश्किलें सामने आ रही हैं।
बारिश और बाढ़ के चलते पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा भी लगातार बना हुआ है। चित्राल, दीर, स्वात, बुनेर और एबटाबाद जैसे जिलों में छिटपुट बारिश का अनुमान है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि थोड़ी-सी भी अतिरिक्त वर्षा बड़े पैमाने पर भूस्खलन करा सकती है। इससे सड़कों का संपर्क टूट सकता है और हजारों लोग प्रभावित हो सकते हैं।
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हालात को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने आपात बैठकें बुलाई हैं और सेना को राहत कार्यों में लगाया गया है। फिर भी लगातार बारिश और नदियों के उफान ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर कर दिया है। राहत एजेंसियों का कहना है कि आने वाले 72 घंटे पाकिस्तान के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। अगर बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो मौत और तबाही का आंकड़ा और बढ़ सकता है।