भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव एक बार फिर गहराता नजर आ रहा है। भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिका से आयातित स्टील, एल्यूमीनियम और उनके उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने जा रहा है। यह फैसला अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाने के जवाब में लिया गया है।
यह कदम न सिर्फ भारत की व्यापारिक स्वायत्तता का प्रतीक है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आक्रामक विदेश नीति और आत्मनिर्भर भारत की सोच को भी दर्शाता है। सोमवार रात राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आतंकवाद और पाकिस्तान पर सीधे शब्दों में हमला बोला था, और अगले ही दिन अमेरिकी व्यापार नीति पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया आ गई।
WTO में भारत की आपत्ति
भारत ने WTO को बताया है कि अमेरिकी टैरिफ नीतियां बहुपक्षीय व्यापार नियमों के खिलाफ हैं। अमेरिका के इन कदमों से भारतीय उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ा है। इसके जवाब में भारत ने भी अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए समान प्रतिक्रिया देने का निर्णय लिया है।

कौन-कौन से अमेरिकी उत्पाद होंगे प्रभावित?
हालांकि भारत ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन-किन अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया जाएगा, लेकिन जानकारों का मानना है कि मोटर वाहन कलपुर्जे, फर्नीचर, सेब, अखरोट, और शराब जैसे उत्पादों पर असर पड़ सकता है। इससे अमेरिकी निर्यातकों को बड़ा झटका लग सकता है।
ट्रंप के दावे और भारत की प्रतिक्रिया
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई के युद्धविराम समझौते में अमेरिका ने मध्यस्थता की भूमिका निभाई। साथ ही उन्होंने व्यापार को एक रणनीतिक हथियार बताया। लेकिन भारत ने ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संबोधन में बिना नाम लिए ट्रंप और पाकिस्तान दोनों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान अब भी आतंकवाद की फैक्ट्री चला रहा है, और भारत अब केवल आतंकवाद और पीओके पर बात करेगा।”
क्या होगा टैरिफ जंग का असर?
भारत की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब 28 अप्रैल को औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आने वाले हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के टैरिफ से भारत के कुछ उद्योग जरूर प्रभावित हुए हैं, लेकिन आत्मनिर्भर भारत की नीति के तहत भारत अब पहले की तुलना में कहीं अधिक तैयार है।
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फिलहाल दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि वह न दबाव में आएगा, न झुकेगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका की अगली प्रतिक्रिया क्या होती है।
भारत के इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने हितों की रक्षा के लिए मजबूती से खड़ा रहेगा। व्यापार हो या राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत अब किसी भी मोर्चे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है।