Guru Poornima: अगर गुरु को जीवन का प्रकाश कहे तो गलत नही होगा, जैसे अंधेरे में आपको प्रकाश आपको राह दिखाता है, कुछ वैसे ही गुरु जीवन के अंधकार में ज्ञान रूपी प्रकाश भरते है| गुरु पूर्णिमा का पर्व सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि हिन्दु और जैन धर्म के लोग भी इसे मनाते हैं।
यह दिन उन सभी गुरुओं को सम्मान और श्रद्धांजलि देने का अवसर है जिन्होंने हमारे जीवन को आकार दिया और हमें एक बेहतर इंसान बनाया। चाहे वो स्कूल के शिक्षक हों, जिन्होंने हमें ज्ञान दिया, या फिर वो गुरु जिन्होंने हमें ध्यान, योग और आध्यात्म के मार्ग पर चलना सिखाया, या हमारे माता-पिता जिन्होंने बचपन में हमारा मार्गदर्शन किया – गुरु पूर्णिमा का दिन इन सभी का आदर व्यक्त करने और उनके मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता जताने का अवसर है।

गुरु पूर्णिमा की जड़ें इतिहास और अध्यात्म दोनों में गहरी हैं। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत प्राचीन भारत की वैदिक परंपराओं से हुई थी। इसे व्यापक रूप से महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में जाना जाता है, जो इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण गुरुओं में से एक थे। वे महाभारत और पुराणों के रचयिता हैं और ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने वेदों को पढ़ने और वर्गीकृत कर के विभिन्न खंडों में विभाजित किया, जिससे मनुष्यों के लिए वेद अध्ययन को आसान बनाया जा सके।


ऐसी मान्यता है कि व्यास जी का जन्म इसी दिन हुआ था। उनके अथक प्रयासों और जीवन के हर पड़ाव पर हमारा मार्गदर्शन करने वाले सभी गुरुओं को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। बौद्ध धर्म में, गुरु पूर्णिमा भगवान बुद्ध को सम्मानित करने के लिए मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सारनाथ में ज्ञान प्राप्त करने के बाद बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। ‘धम्मचक्कपवत्तन सूत्र’ के नाम से जाना जाने वाला यह उपदेश, धर्म चक्र को गति प्रदान करने वाला था। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन बुद्ध और अपने आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।


हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। यह दिन गुरु या शिक्षक के महत्व को स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है। इस पवित्र दिन पर, लोग गुरु की पूजा-अर्चना करते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा आषाढ़ महीने में पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा के दिन) को मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा आज, 21 जुलाई, 2024 को मनाई जा रही है।
गुरु पूर्णिमा का अपना एक इतिहास रहा है पर बदलते परिवेश के साथ इसके मायने बदल गए है। अब ये आपकोअपने सभी गुरुओं के प्रति आभारी होने का मौका देता है। अपने सभी गुरुओं को याद करिए और उन्हें बताइए की कैसे उन्होंने आपके जीवन में बदलाव लाया है।