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भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार के खोल दिए पट,वर्षो की जिज्ञासा का मिलेगा जवाब

खजाना शब्द सुनते ही बचपन के वो सारी जिज्ञासा और कहानियां याद आ जाती है, मानव मन को अगर कोई चीज सबसे ज्यादा लुभाई है तो वो है छुपा हुआ खजाना हर इंसान एक वक्त पे सोचता है, काश कोई ऐसा खजाना हाथ लग जाए, कुछ ऐसा ही रहस्यमई रूप से खजाना है भगवान जगन्नाथ के मंदिर का, वो मंदिर अपने आप में रहस्यमई है, और फिर इतना बड़ा खजाना तो जैसे मानव मन को अपनी ओर खींचता ही रहता है। लेकिन अब आखिरकार सभी सवालों के जवाब मिलने के आसार जल्द ही दिखाई दे रहे है। कल फाइनली रत्न भंडार के दरवाजे खोले गए पूरे 46 सालो के बाद।

पुरी के जगन्नाथ धाम में सुबह से ही काफी भीड़ थी लेकिन टीम ने रत्न भंडार की ओर बढ़ना शुरू दोपहर 1बजे के बाद किया। उस वक्त सुरक्षा कर्मी मौजूद थे, सारी सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए रत्न भंडार का खोलने के लिए नियुक्त सभी अधिकारी और कर्मचारी वहा दाखिल हुए। ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी।
जानकारी में बताया गया की रत्न भंडार को खोलने के लिए 11 लोग थे, जिसमें ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व जज विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे. इनमें चार सेवक भी थे जिन्होंने सारे रीति रिवाजों का भी ध्यान रखा. ये लोग शाम के करीब 5 बजे रत्न भंडार से वापिस आए.

इस रत्न भंडार को खोलने का आदेश 2018 में ही ओडिशा हाईकोर्ट ने दे दिया था, लेकिन फिर कह दिया गया की चाभी ही खो गईं है। चाबी की खोज शुरू की गई लेकिन 6 साल बाद भी चाबी का कोई अता पता नहीं चला, अब चाबी सच में गुम हुई या फिर जानबूझकर छिपाई गई ये पहेली अभी तक नही सुलझी है. इसीलिए नतीजतन 46 साल बाद रत्न भंडार का ताला तोड़ दिया गया।

ऐसा माना जाता है की जगन्नाथ मंदिर के अथेय मूल्यवान वस्तुएं है, रत्न भंडार के दो हिस्से हैं एक बाहरी और दूसरा भीतरी. भीतरी हिस्सा काफी लंबे समय से बंद है, ऐसा बताया जाता है कि भीतरी हिस्से में पूरे 7 दरवाजे हैं और इन दरवाजों के पीछे असंख्य धन है.

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करीब 12वीं शताब्दी में कलिंग वास्तुकला के हिसाब से हुआ था। उसी वक्त एक रत्न भंडार भी बनाया गया था. इसी में सारे गहने और राजाओं और भक्तो द्वारा जो भी भेट दी जाती थी, रखा गया है,
इन आभूषणों का आकलन करने के लिए कमिटी बनाई गई है, ये कोई एक दो दिन का काम नही है, ऐसा माना जाता है की वक्त के साथ ये खजाने का मूल्य बढ़ता गया है और अभी इसके भीतर कितनी दौलत है इसका अंदाजा लगाना मुस्किल है। कितनी कहानियां और किस्से बताए जाते है इस खजाने के।

आखिरी बार जब 1978 में ताला खुला था तब राजा के मुकुट से लेकर आभूषणों से भरी तिजोरिया मिली थी, जो मंदिर खुद ही करीब 600 करोड़ का है उसके खजाने में क्या-क्या हो सकता है,भगवान जगन्नाथ के 60 हजार एकड़ तक की जमीन है. आखिरी बार जब लिस्ट बनी थी तब 128 किलो सोना, 221 किलो चांदी, 12,831 सोने के भारी गहना और 22 हजार 153 चांदी के बर्तन और दूसरा सामान मिला था। दूसरा समान क्या था कितना था कितनी कीमत थी इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन अबकी बार पूरा रिकॉर्ड बाहर आएगा। ये पूरा रहस्य खुलने में वक्त तो लगेगा पर देखना दिलचस्प होगा कि आखिर क्या क्या छुपा है, ये सिर्फ खजाना नही है हमारे गौरवमई इतिहास की ए झलक भी है, जानकारी के मुताबिक नई चाभी ट्रेजर में रखवा दी गई है।

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