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रक्षाबंधन 2025 पर नहीं रहेगा भद्रा, लेकिन राहुकाल से रहें सावधान — जानें राखी बांधने का शुभ समय

भोपाल।
भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व इस वर्ष 9 अगस्त 2025 (शनिवार) को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। हर साल की तरह इस बार भी रक्षाबंधन की तिथि को लेकर उत्सुकता बनी हुई है, लेकिन सबसे बड़ी राहत की खबर यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा, यानी पूरे दिन राखी बांधने के लिए शुभ समय उपलब्ध रहेगा। हालांकि, एक बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है — राहुकाल, जिसे शास्त्रों में अशुभ माना गया है।

क्या है भद्रा और क्यों है इससे डर?

हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन हमेशा सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। लेकिन कई बार इस दिन भद्राकाल आ जाता है, जिसे शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित माना गया है क्योंकि मान्यता है कि इस समय बांधी गई राखी रिश्तों में तनाव ला सकती है।

इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, जिससे दिनभर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रहेगा। यह एक शुभ संकेत माना जा रहा है।

राहुकाल बना सकता है बाधा

हालांकि भद्रा नहीं है, लेकिन 9 अगस्त को सुबह 9:00 बजे से 10:30 बजे तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल एक ऐसा समय होता है जब कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता। इस दौरान ग्रहों की स्थिति बाधाओं और भ्रम को बढ़ाने वाली होती है।

राहुकाल 2025 रक्षाबंधन पर:

📍 समय: सुबह 9:00 बजे से 10:30 बजे तक
📍 स्थान: पूरे भारत में सामान्य रूप से मान्य, लेकिन स्थानीय पंचांग अनुसार अंतर संभव

राहुकाल में किन कार्यों से बचें?

  • राखी बांधना या कोई भी शुभ संस्कार
  • गृह प्रवेश, विवाह या नया कार्य शुरू करना
  • आर्थिक लेन-देन या निवेश
  • धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ

राहुकाल में क्या करें?

  • भगवान शिव, काल भैरव और देवी दुर्गा की उपासना
  • ध्यान, साधना और मंत्र जाप
  • पढ़ाई-लिखाई या आत्मचिंतन
  • यदि यात्रा आवश्यक हो तो दही, गुड़ या पान खाकर निकलें

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त रात 11:18 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त रात 7:45 बजे
  • राखी बांधने का श्रेष्ठ समय: सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक (राहुकाल छोड़कर)

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रक्षाबंधन 2025 पर बहनों को भद्रा की चिंता नहीं करनी पड़ेगी, लेकिन राहुकाल से बचाव जरूरी होगा। सही समय पर राखी बांधना न केवल परंपरा का पालन है, बल्कि यह भाई की लंबी उम्र और रिश्ते की मजबूती का प्रतीक भी है।

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