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अखिलेश यादव और अनिरुद्धाचार्य के पुराने वीडियो पर सियासत गरम, सपा सांसद प्रिया सरोज की टिप्पणी से बढ़ा मामला

करीब ढाई साल पुराना एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज के बीच तीखी वैचारिक बहस होती नजर आ रही है। इस पुराने संवाद को लेकर नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। बहस की आग को और हवा तब मिली जब जौनपुर की मछलीशहर लोकसभा सीट से सपा सांसद प्रिया सरोज ने कथावाचक पर सीधा निशाना साधते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर विवादित टिप्पणी कर दी।

प्रिया सरोज ने अनिरुद्धाचार्य की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा,
“जब कोई बाबा कृष्ण जी का नाम तक नहीं बता पाते तब अपनी छवि सुधारने के लिए सपा प्रमुख के बयान को हिंदू-मुस्लिम रंग देकर देश-प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। क्या उनके प्रवचनों में यही सिखाया जाता है?”

उनकी इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। कई लोगों ने इसे सच्चाई की आवाज बताया तो कुछ ने इसे संतों के अपमान की संज्ञा दी। वहीं कुछ लोगों ने इसे धर्म और राजनीति के खतरनाक मिलन की शुरुआत बताया है।

क्या था पूरा मामला?

वायरल हो रहा यह वीडियो वर्ष 2023 लोकसभा चुनाव के दौरान आगरा एक्सप्रेसवे पर हुआ था, जब अखिलेश यादव और कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज की अनौपचारिक मुलाकात के दौरान चर्चा में बहस छिड़ गई थी। वीडियो में अखिलेश यादव कथावाचक से सवाल करते हैं,
“भगवान श्रीकृष्ण का सबसे पहला नाम क्या था?”
इस पर कथावाचक जवाब देते हैं – “वासुदेव नंदन”।
फिर अखिलेश दोबारा पूछते हैं – “जब उनकी मां ने जन्म दिया, तब उन्होंने क्या नाम रखा?”

अनिरुद्धाचार्य कहते हैं – “उनके अनेक नाम हैं।”
इसके बाद कथावाचक द्वारा वर्ण व्यवस्था का उल्लेख करते हुए समाज को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में बांटा गया। इस पर अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई और कहा –
“आइंदा किसी को शूद्र मत कहना। अब हमारा और आपका रास्ता यहीं से अलग होता है।”

अनिरुद्धाचार्य की प्रतिक्रिया और तंज

वीडियो वायरल होने के बाद अनिरुद्धाचार्य महाराज की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा –
“जब मैंने सच कहा तो उन्होंने कह दिया कि रास्ता अलग है। लेकिन क्या वो मुसलमानों से ऐसा ही कहते हैं? नहीं, वो कहते हैं कि तुम्हारा रास्ता ही हमारा रास्ता है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राजनेता धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं, और ऐसे में देश का भला कैसे होगा?

प्रिया सरोज की एंट्री और नया विवाद

इस मुद्दे को और बड़ा बना दिया सपा सांसद प्रिया सरोज ने, जिन्होंने साफ तौर पर अनिरुद्धाचार्य पर निशाना साधते हुए धर्म मंचों से समाज में विभाजन फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा –
“धर्म की आड़ में राजनीति करना, समाज को बांटना, लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। ऐसे प्रवचन क्या समाज को जोड़ते हैं या तोड़ते हैं, यह जनता खुद तय करेगी।”

उनकी इस पोस्ट के बाद यह पूरा मामला और ज्यादा गरमा गया है। कुछ लोगों ने सांसद के समर्थन में प्रतिक्रिया दी, तो कुछ ने इसे संत समाज का अपमान बताया।

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ढाई साल पुराना यह वीडियो अब सियासी हथियार बन गया है। इसमें न केवल धर्म बनाम राजनीति की झलक दिखती है, बल्कि यह भी साफ हो गया है कि सामाजिक ताना-बाना किस तरह राजनीतिक बयानों और धार्मिक प्रवचनों की भेंट चढ़ सकता है।

भले ही यह वीडियो पुराना है, लेकिन इसके वायरल होते ही जिस तरह से राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।

(नोट: वायरल वीडियो की पुष्टि WPT News24 स्वतंत्र रूप से नहीं करता है।)

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