इंदौर। स्वच्छता में लगातार शीर्ष स्थान पर काबिज रहने के बाद अब इंदौर ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। यह मध्य प्रदेश का पहला ऐसा शहर बन गया है, जहां 100 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता विकसित हो चुकी है। इंदौर की कुल ऊर्जा खपत का 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा अब सौर ऊर्जा से प्राप्त हो रहा है, जिससे यह ‘सोलर सिटी’ की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है।
हर घर में सौर ऊर्जा की रोशनी
शहर के कई आवासीय क्षेत्रों ने ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा लिए हैं। बसंत विहार, शांति निकेतन, राजेंद्र नगर समेत आधा दर्जन कॉलोनियों में 50 से 60 प्रतिशत घरों में सोलर पैनल लग चुके हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि जल्द ही ये कॉलोनियां 100 प्रतिशत सौर ऊर्जा पर निर्भर हो जाएंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ इस सफलता में अहम भूमिका निभा रही है। इस योजना के तहत इंदौर में अब तक 14,000 से अधिक घरों में सौर ऊर्जा सिस्टम स्थापित किए जा चुके हैं। सिर्फ पिछले एक साल में ही 5,000 से अधिक नए उपभोक्ताओं ने सौर ऊर्जा को अपनाया है, जो मध्य प्रदेश में किसी भी अन्य शहर से अधिक है।

इंदौर नगर निगम ने पिछले वर्ष एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया था, जिसके तहत:
✅ 25,000 सोलर सिस्टम लगाने का लक्ष्य रखा गया था।
✅ हर वार्ड में कम से कम एक कॉलोनी को पूरी तरह सौर ऊर्जा आधारित बनाने की योजना बनाई गई थी।
हालांकि, अभी तक यह लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं हो पाया है, लेकिन लोगों में बढ़ती जागरूकता और सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं के चलते सौर ऊर्जा को अपनाने की गति तेज हुई है।

इंदौर की इस उपलब्धि ने अन्य शहरों को भी प्रेरित किया है। उज्जैन, देवास, रतलाम और खरगोन जैसे शहरों में भी हजारों घरों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं:
- उज्जैन: 2,650 स्थानों पर
- देवास: 1,640 स्थानों पर
- रतलाम: 1,130 स्थानों पर
- खरगोन: 1,125 स्थानों पर
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महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा, “शहर में अब सौर ऊर्जा से 100 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन की क्षमता विकसित हो गई है। यह संभवतः प्रदेश में किसी भी शहर के लिए पहली बार हुआ है। हमारा लक्ष्य आने वाले समय में और अधिक कॉलोनियों को 100% सोलर एनर्जी पर आधारित बनाना है।”
इंदौर अब सिर्फ ‘स्वच्छ शहर’ ही नहीं, बल्कि ‘डिजिटल और सोलर सिटी’ बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। भविष्य में यह शहर ऊर्जा आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण पेश कर सकता है, जिससे पूरे प्रदेश को प्रेरणा मिलेगी।