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इंदौर मुक्तिधाम में तांत्रिक क्रियाओं का आरोप, CCTV बंद होने से नहीं हो पाई रिकॉर्डिंग

इंदौर। शहर के रामबाग मुक्तिधाम से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जैन समाज के बुजुर्ग हुकुमचंद सुहाना के अंतिम संस्कार के बाद चिता स्थल पर तांत्रिक क्रियाएं किए जाने का आरोप लगा है। परिजनों ने बताया कि चिता पर अंडे, शराब, सिगरेट, कुमकुम और अन्य सामग्री रखी मिली, जबकि कुछ हड्डियां भी गायब पाई गईं। इस घटना के बाद मृतक के परिजन और जैन समाज के लोग आक्रोशित हो गए और मुक्तिधाम परिसर में जमकर हंगामा हुआ।

परिजनों का आरोप – CCTV कैमरे थे बंद

परिवार का कहना है कि अगर मुक्तिधाम के CCTV कैमरे चालू रहते तो यह पता लगाया जा सकता था कि देर रात वहां कौन आया और तांत्रिक क्रिया किसने की। कैमरों के बंद होने से घटना की रिकॉर्डिंग नहीं हो पाई और आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला। परिजनों का कहना है कि ऐसी लापरवाही गंभीर है क्योंकि मुक्तिधाम जैसी पवित्र जगह पर सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होने चाहिए।

जैन समाज में आक्रोश

इस घटना ने पूरे जैन समाज को झकझोर दिया है। समुदाय के लोगों ने मुक्तिधाम में इस तरह की हरकतों को “पवित्रता का अपमान” बताया है। उनका कहना है कि किसी भी धार्मिक स्थल या अंतिम संस्कार स्थल पर इस तरह की कुप्रथाओं का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जैन समाज ने मांग की है कि प्रशासन न केवल दोषियों की पहचान कर कार्रवाई करे, बल्कि मुक्तिधाम में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जा सकें।

पुलिस ने शुरू की जांच

परिवार ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल पुलिस CCTV फुटेज न होने के कारण प्रत्यक्ष गवाहों और अन्य साक्ष्यों पर निर्भर है। अधिकारियों का कहना है कि घटना को लेकर जल्द ही सच सामने लाया जाएगा।

लोगों की चिंता – पवित्र स्थानों की सुरक्षा

इस घटना के बाद स्थानीय लोग भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि अगर मुक्तिधाम जैसी जगह पर तांत्रिक कृत्य हो सकते हैं, तो यह प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। नागरिकों का कहना है कि सरकार और प्रशासन को सभी प्रमुख मुक्तिधामों और धार्मिक स्थलों पर कैमरे और सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि ऐसी असामाजिक गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।

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कुल मिलाकर, इंदौर के रामबाग मुक्तिधाम का यह मामला न केवल परिजनों और जैन समाज के लिए पीड़ा और आक्रोश का विषय बना है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि आखिर पवित्र स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी पुख्ता है।

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