इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण और अनोखा फैसला सुनाया, जिसमें लहसुन को सब्जी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह फैसला 9 साल से चल रही कानूनी लड़ाई के बाद आया है। इस फैसले के साथ ही यह विवाद समाप्त हो गया कि लहसुन को सब्जी माना जाए या मसाला।


मामले की शुरुआत
2015 में, मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड ने किसानों के एक संगठन के अनुरोध पर लहसुन को सब्जी की श्रेणी में शामिल किया था। हालांकि, इसके तुरंत बाद, कृषि विभाग ने इस आदेश को रद्द कर दिया और 1972 के कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम का हवाला देते हुए लहसुन को मसाले की श्रेणी में डाल दिया। इसके बाद, आलू-प्याज-लहसुन कमीशन एजेंट एसोसिएशन ने 2016 में प्रमुख सचिव के आदेश के खिलाफ इंदौर हाईकोर्ट का रुख किया।
कानूनी लड़ाई और फैसले
फरवरी 2017 में सिंगल जज ने कमीशन एजेंटों के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन व्यापारियों ने तर्क दिया कि इस फैसले से केवल कमीशन एजेंटों को फायदा होगा, किसानों को नहीं। इसके बाद, याचिकाकर्ता मुकेश सोमानी ने जुलाई 2017 में पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसे हाई कोर्ट की डबल जज बेंच ने सुना। इस बेंच ने जनवरी 2024 में लहसुन को दोबारा मसाला श्रेणी में डाल दिया, लेकिन व्यापारियों और कमीशन एजेंटों ने मार्च 2024 में इस आदेश की समीक्षा की मांग की।
फाइनल फैसला
मार्च 2024 में, जस्टिस धर्माधिकारी और वेंकटरमन की बेंच ने लहसुन को सब्जी के रूप में मान्यता दी। इस फैसले के अनुसार, अब किसान लहसुन को कृषि उपज मंडी, सब्जी मंडी, और मसाला मंडी में बेच सकते हैं। इससे किसानों को अधिक विकल्प और बाजार मिलने की उम्मीद है, जिससे उनकी आय में सुधार होगा।
यह फैसला न केवल किसानों के लिए राहत का कारण बनेगा, बल्कि राज्य में लहसुन की खेती और व्यापार को भी नई दिशा देगा। यह मामला साबित करता है कि न्यायपालिका किसानों और व्यापारियों दोनों के हितों को संतुलित करने के लिए प्रतिबद्ध है।