राज्य में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान, शहडोल-जबलपुर में ज्यादा बारिश के आसार
भोपाल: मध्य प्रदेश के लिए इस बार मानसून राहत और उम्मीदों की बौछार लेकर जल्द दस्तक दे सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान जताया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई तक देश में प्रवेश कर सकता है, जिससे राज्य में 15 से 18 दिनों के भीतर यानी 15 जून के आसपास मानसून की पहली बारिश देखने को मिल सकती है।
राज्य में मानसून का सामान्य आगमन 15 जून को होता है, लेकिन बीते वर्षों में यह आमतौर पर 18 जून के बाद पहुंचता रहा है। पिछले साल 2024 में मानसून ने 21 जून को सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और अनूपपुर जिलों से राज्य में प्रवेश किया था। इस बार भी इन्हीं जिलों से मानसून की दस्तक की संभावना जताई गई है।
अच्छी बारिश की उम्मीद
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल प्रदेश में सामान्य से अधिक यानी 104% से 106% बारिश हो सकती है, जो लगभग 38 से 39 इंच के आसपास होगी। इसकी तुलना में राज्य की सामान्य औसत वर्षा 37.3 इंच है। शहडोल और जबलपुर संभागों में सबसे अधिक वर्षा की संभावना जताई गई है, जबकि चंबल, ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर और भोपाल संभागों में भी सामान्य से बेहतर बारिश के आसार हैं।

जल्दी मानसून का मतलब है कि किसानों को समय से खेती की तैयारी करने का अवसर मिलेगा, जिससे खरीफ फसलों की बुवाई और उत्पादन में सुधार हो सकता है। साथ ही जल संसाधनों और भूजल स्तर में बढ़ोतरी की भी उम्मीद की जा रही है।
मौसम वैज्ञानिक का बयान
मौसम विज्ञान केंद्र भोपाल की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, “यदि देश में मानसून जल्दी पहुंचता है, तो मध्य प्रदेश में भी इसके निर्धारित समय पर या उससे पहले पहुंचने की संभावना बनती है। इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रगति पहले के मुकाबले तेज है।”
पिछले वर्षों का ट्रेंड
वर्ष | आगमन | प्रस्थान |
---|---|---|
2024 | 21 जून | 07 अक्टूबर |
2023 | 24 जून | 09 अक्टूबर |
2022 | 16 जून | 14 अक्टूबर |
2021 | 09 जून | 11 अक्टूबर |
2020 | 14 जून | 21 अक्टूबर |
2019 | 24 जून | 12 अक्टूबर |
ये आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि मानसून का समय हर वर्ष बदलता रहा है, लेकिन इस बार समय से पहले आगमन एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
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यदि मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 2025 का मानसून मध्य प्रदेश के लिए कृषि, जल आपूर्ति और पर्यावरणीय दृष्टि से फायदेमंद साबित हो सकता है। समय पर वर्षा से सूखा प्रभावित क्षेत्रों को राहत मिलेगी और फसल उत्पादन भी बेहतर रहने की उम्मीद है।