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उज्जैन में 5 हजार बच्चों ने बनाई मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं, प्रकृति संरक्षण का दिया संदेश

उज्जैन।

गणेशोत्सव की तैयारियों के बीच उज्जैन में शनिवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। यहां 5 हजार से अधिक बच्चों ने एक साथ मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाकर न केवल गणेशोत्सव की शुरुआत की, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। इस आयोजन की खास बात यह रही कि प्रतिमा बनाने से पहले सभी बच्चों ने सामूहिक रूप से “श्री गणेशाय नमः” मंत्र का जाप किया।

बच्चों ने मिट्टी से बनाई प्रतिमाएं

गणेशोत्सव हर साल देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार उज्जैन ने इसे एक अलग ही रूप में प्रस्तुत किया। कृषि मंडी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में हजारों बच्चे मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने के लिए जुटे। नन्हे हाथों ने जब गणपति बप्पा की आकृति गढ़ी, तो पूरा माहौल भक्ति और उत्साह से भर गया।

पर्यावरण बचाने का संकल्प

आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की मूर्तियों के बजाय पर्यावरण हितैषी मिट्टी की प्रतिमाएं इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना था। आयोजकों ने बताया कि पीओपी की मूर्तियां नदियों और तालाबों को प्रदूषित करती हैं, जबकि मिट्टी की प्रतिमाएं प्रकृति के साथ पूरी तरह घुल-मिल जाती हैं।

लोकमान्य तिलक गणेश उत्सव समिति के पदाधिकारियों ने कहा—

  • “पिछले 15 वर्षों से हम मिट्टी की मूर्तियां बनाने और वितरित करने की परंपरा निभा रहे हैं।”
  • “हम चाहते हैं कि हर घर में गणेशजी विराजें, लेकिन प्रकृति को नुकसान पहुंचे बिना।”

विधायक भी बने सहभागी

कार्यक्रम में उज्जैन के विधायक अनिल जैन कालूखेड़ा भी पहुंचे। उन्होंने बच्चों के साथ बैठकर मिट्टी की प्रतिमा बनाई और आयोजन की सराहना की। विधायक ने कहा कि इस तरह के प्रयास न केवल पर्यावरण को बचाने में सहायक हैं बल्कि बच्चों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का माध्यम भी हैं।

घर-घर होगा मुफ्त वितरण

कार्यक्रम में बनी मिट्टी की प्रतिमाओं का घर-घर वितरण किया जाएगा। समिति ने बताया कि बच्चे स्वयं इन मूर्तियों को लेकर शहर के विभिन्न इलाकों में जाएंगे और परिवारों को मुफ्त में गणेश प्रतिमा भेंट करेंगे। इससे न केवल लोगों में जागरूकता फैलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी हर घर तक पहुंचेगा।

गणेशोत्सव की धूम

26 अगस्त से शुरू होने वाले गणेशोत्सव के लिए उज्जैन शहर पूरी तरह तैयारियों में जुटा है। बाजारों में सजावट का काम तेज हो गया है और पंडालों की सजावट भी शुरू हो चुकी है। 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भक्त गणपति बप्पा की आराधना कर परिवार और समाज की खुशहाली की कामना करेंगे।

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कुल मिलाकर, उज्जैन का यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक रहा बल्कि पर्यावरण संरक्षण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम भी है। हजारों बच्चों का यह सामूहिक प्रयास आने वाले समय में समाज के लिए एक प्रेरणा बनेगा।

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