उमरिया जिले के जनजातीय विकासखंड पाली के खंड शिक्षा कार्यालय में 2 करोड़ 60 लाख रुपए के घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। यह घोटाला वर्ष 2018 से 2023 के बीच फर्जी अतिथि शिक्षकों और मजदूरों के नाम पर बिल तैयार कर किया गया, जिसमें 24 संदिग्ध बैंक खातों में यह राशि ट्रांसफर की गई थी। जांच में सामने आया कि इन खातों में से 21 खाते आरोपियों के परिजनों के नाम पर थे।
जैसे ही इस वित्तीय अनियमितता की जानकारी जिला प्रशासन को मिली, तुरंत एक जांच समिति गठित की गई। प्रशासन की सख्ती के चलते आरोपियों ने अब तक करीब 2 करोड़ 10 लाख रुपए की राशि वापस सरकारी खाते में जमा कर दी है।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) राणा प्रताप सिंह, कंप्यूटर ऑपरेटर बालेंद्र द्विवेदी, लिपिक अशोक कुमार धनखड़ और कर्मचारी धीरेंद्र गुप्ता को इस घोटाले का मुख्य दोषी माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर सरकारी धन का फर्जी तरीके से आहरण कर उसे अपने और रिश्तेदारों के खातों में स्थानांतरित किया।

इस मामले में जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कंप्यूटर ऑपरेटर द्विवेदी की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। वहीं लिपिक अशोक कुमार धनखड़ और शिक्षक रामबिहारी पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी राणा प्रताप सिंह के निलंबन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।
कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन ने मीडिया से चर्चा में कहा, “यह अत्यंत गंभीर मामला है और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। जांच प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सभी दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
इस घोटाले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, यह मामला इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और निगरानी की सख्त आवश्यकता है।
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प्रशासन द्वारा की जा रही त्वरित कार्रवाई और पारदर्शी जांच से यह उम्मीद जताई जा रही है कि ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाकर भविष्य में इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।