उमरिया जिले में रेत माफिया का वर्चस्व लगातार बढ़ता जा रहा है। पाली थाना क्षेत्र के घुनघुटी चौकी से लेकर ओदरी और ममान तक अवैध खनन खुलेआम जारी है। ममान के जयसवाल ब्रदर्स, ओदरी के यादव ब्रदर्स और घुनघुटी के वर्मा ब्रदर्स इस कारोबार में प्रमुख नाम माने जाते हैं। ग्रामीण इनके कारनामों से परेशान हैं, लेकिन इनकी राजनीतिक पकड़ और दबदबे के कारण सामने आने से डरते हैं।
इन कारोबारियों पर आरोप है कि वे दिन में समाजसेवा का चेहरा दिखाते हैं और रात को रेत का अवैध कारोबार करते हैं। ट्रैक्टरों की लंबी लाइनें रात होते ही निकल पड़ती हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि खनन कितनी बड़े पैमाने पर हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ये लोग खुद को सांसद या विधायक से जुड़ा बताते हैं और उनके नाम का इस्तेमाल कर दबाव बनाते हैं। इस राजनीतिक संरक्षण के कारण पुलिस, वन और खनिज विभाग भी चुप्पी साध लेते हैं।

स्थानीय चर्चाओं में यह बात भी सामने आती है कि कारोबारियों के संबंध भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से जुड़े हैं। इसका फायदा उठाकर ये प्रशासन पर हावी रहते हैं। जब कार्रवाई होती भी है तो वह सिर्फ दिखावे के लिए होती है। पुलिस और विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि ट्रैक्टरों की रोजाना आवाजाही उनकी आंखों के सामने होती है, लेकिन ठोस कार्रवाई नदारद है।
खनिज अधिकारी विद्याकांत तिवारी का कहना है कि वे लगातार कार्रवाई कर रहे हैं और पिछले डेढ़ महीने में 14–15 बार कार्रवाई की जा चुकी है। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि कार्रवाई केवल चुनिंदा लोगों पर होती है और बड़े माफियाओं तक नहीं पहुंच पाती। इससे साफ है कि नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा कारोबार संभव नहीं है।
अवैध खनन न सिर्फ सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा बन गया है। नदियों की गहराई बढ़ रही है, जलस्तर गिर रहा है और खेतों की उर्वरकता खत्म हो रही है। ग्रामीण कहते हैं कि वे अपनी आवाज उठाना चाहते हैं, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ के डर से चुप रहते हैं।
यह भी पढ़िए – CLT10 नोएडा: क्रिकेट के मंच पर चमका विंध्य का सितारा प्रिंस वर्मा
रेत माफिया का यह नेटवर्क न सिर्फ कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहा है, बल्कि आम लोगों की जिंदगी को भी प्रभावित कर रहा है। ट्रैक्टरों की लगातार आवाजाही से सड़कें खराब हो रही हैं, हादसों का खतरा बढ़ रहा है और सरकारी खजाने को रोजाना लाखों का नुकसान हो रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक प्रशासन आंखें मूंदकर बैठेगा और माफिया बेखौफ होकर अपनी जड़े मजबूत करते रहेंगे? अगर सरकार वास्तव में गंभीर है तो उसे जमीनी स्तर पर ईमानदार कार्रवाई करनी होगी, वरना यह अवैध कारोबार आम जनता की पीड़ा और शासन की असफलता का प्रतीक बना रहेगा।