नई दिल्ली।
संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू होते ही तेज राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बन गया। एक तरफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले जैसे गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर विपक्ष ने चर्चा की जोरदार मांग की, वहीं दूसरी ओर सरकार पर विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सीधा हमला बोला।
दिनभर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामे और नारेबाजी का दौर चलता रहा, जिससे दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। संसद के गलियारों में सिर्फ बहस नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और विपक्ष के अधिकारों को लेकर सवालों की गूंज भी सुनाई दी।
राहुल गांधी का बड़ा आरोप: “नेता विपक्ष हूं, फिर भी चुप कराते हैं”
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद भवन के बाहर मीडिया से बातचीत में सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा:
“मैं विपक्ष का नेता हूं, यह मेरा संवैधानिक हक है कि मैं बोलूं। लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा। सरकार विपक्ष की आवाज को कुचल रही है।”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि रक्षा मंत्री और सत्तारूढ़ दल के सांसदों को बोलने दिया जाता है, लेकिन जब विपक्ष सवाल पूछना चाहता है, तो माइक बंद कर दिए जाते हैं या बीच में रोक दिया जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने एक नई रणनीति बना ली है — “संसद में विपक्ष को दिखाओ मत, सुनाओ मत।”
प्रियंका गांधी का समर्थन: “लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा”
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा:
“अगर सरकार वाकई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा चाहती है, तो फिर नेता विपक्ष को बोलने से क्यों रोका जा रहा है? ये लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है।”
प्रियंका ने इसे “विपक्ष की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला” बताया और कहा कि जब संसद में समान अवसर नहीं मिलेगा, तो लोकतंत्र एकतरफा हो जाएगा।
सत्तापक्ष का पलटवार: “विपक्ष मुद्दों को भटका रहा”
सरकार की ओर से बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष संसद की कार्यवाही को बाधित कर रहा है। उन्होंने कहा:
“सरकार हर गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष केवल हंगामा कर रहा है। इससे जनता का समय और पैसा बर्बाद हो रहा है।”
शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद नरेश म्हस्के ने भी विपक्ष पर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा:
“जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा होगी, तो राहुल गांधी को भी पूरा मौका मिलेगा। वो पहले से क्यों शोर मचाकर लोकतंत्र को बदनाम कर रहे हैं?”
‘इंडिया’ गठबंधन में भी मतभेद की आहट?
‘इंडिया गठबंधन’ की बैठक में राहुल गांधी ने विपक्षी एकता को और मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सभी दलों को मिलकर सरकार को घेरना चाहिए।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक डी राजा (सीपीआई) जैसे कुछ नेता राहुल गांधी के लगातार आक्रामक रुख से असहमत दिखे। उनका कहना है कि इससे विपक्षी रणनीति को नुकसान हो सकता है।
सवाल उठे लोकतंत्र की निष्पक्षता पर
राहुल गांधी ने संसद को “लोकतंत्र का मंदिर” बताते हुए कहा कि अगर सरकार के नेता बोल सकते हैं तो विपक्ष को भी पूरा अवसर मिलना चाहिए।
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उनका यह बयान लोकतंत्र की निष्पक्षता और विपक्ष की भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। देश के नागरिक अब यह देख रहे हैं कि संसद केवल एकतरफा संवाद का मंच बन रही है या सभी आवाजों को सुनने वाली संस्था बनी हुई है।
यह सिर्फ सत्र नहीं, लोकतंत्र की परीक्षा है
इस मानसून सत्र की शुरुआत ने बता दिया है कि यह केवल कानून पास करने का समय नहीं, बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की असली परीक्षा भी है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जब संसद की आवाज़ बंटती है, तो देश की नजरें केवल बहस पर नहीं, संसद के आचरण और रवैये पर भी टिकी होती हैं।