विजयनगर क्षेत्र की निवासी एक वृद्ध महिला ने जनसुनवाई में पहुँचकर प्रशासन से अपने ही बेटे और बहू के खिलाफ न्याय की गुहार लगाई है। वृद्धा सपना गुप्ता ने एसपी और कलेक्टर से अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि किस तरह उन्हें वर्ष 2000 से जिस घर में वह अपने पति के साथ रहीं, उसी घर से आज उन्हें उनके बेटे और बहू ने जबरदस्ती बेघर कर दिया है।
सपना गुप्ता के अनुसार, पति की मृत्यु के बाद वह अकेली रह गई थीं और उनके बेटे अभिषेक गुप्ता तथा बहू रितु गुप्ता ने धीरे-धीरे उनका जीना दूभर कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों आए दिन मारपीट करते थे, मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे और मकान व चल-अचल संपत्ति पर जबरन कब्जा करने की कोशिश करते थे।
वृद्धा ने कहा कि मकान और संपत्ति उनके नाम पर दर्ज है और उन्होंने इस बात के सभी दस्तावेज शिकायत पत्र के साथ प्रशासन को सौंपे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि पति की मौत के बाद से सभी सरकारी रिकॉर्डों में मकान उनके नाम पर है, इसके बावजूद उन्हें उनके ही घर से बाहर कर दिया गया।
8 दिसंबर 2024: जब सब कुछ छिन गया
वृद्धा ने बताया कि 8 दिसंबर 2024 की रात उनके बेटे और बहू ने उनके साथ मारपीट की, गहने, कार और स्कूटी जबरन छीन ली और जान से मारने की धमकी देते हुए उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। उस रात के बाद से सपना गुप्ता सड़क पर भटकने को मजबूर हैं और अपनी बाकी की ज़िंदगी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं।

उन्होंने कहा, “मेरा बेटा और बहू कहते हैं कि अब ये घर तेरा नहीं है, यहां वापिस मत आना।” वृद्धा इस समय पूरी तरह असहाय हैं और उनका कहना है कि वह अपने ही घर में जान के खतरे के कारण वापसी नहीं कर पा रही हैं।
प्रशासन से न्याय की उम्मीद
सपना गुप्ता ने एसपी, कलेक्टर और मुख्यमंत्री को आवेदन देकर इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें अपने ही खून ने बेघर कर दिया और वह अब न्याय के लिए प्रशासन की ओर देख रही हैं।
वृद्धा ने अपने आवेदन में कहा, “मैंने पूरी ज़िंदगी अपने बच्चों के लिए लगाई, लेकिन आज जब मुझे सहारे की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, तो वही बेटा-बहू मुझे मारते-पीटते हैं और मेरी संपत्ति हड़प कर खुद ऐश कर रहे हैं।”
संवेदनशील मामलों में प्रशासन का सक्रिय रुख
जबलपुर प्रशासन अतीत में ऐसे संवेदनशील पारिवारिक मामलों में सक्रिय और न्यायपूर्ण रवैया अपनाता रहा है। अब सपना गुप्ता को उम्मीद है कि उनकी इस पीड़ा पर भी प्रशासन गंभीरता से ध्यान देगा और उन्हें उनका हक और सुरक्षा दिलाएगा।
इस घटना ने एक बार फिर इस बात पर सोचने को मजबूर कर दिया है कि कैसे पारिवारिक कलह और संपत्ति की लालच बुजुर्गों के लिए अभिशाप बनती जा रही है।
यह मामला सिर्फ एक वृद्ध महिला की आपबीती नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है। जब माता-पिता अपने ही बच्चों से असुरक्षित महसूस करने लगें, तो यह सिर्फ पारिवारिक विघटन नहीं, बल्कि सामाजिक पतन का संकेत होता है।
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अब देखना यह होगा कि जबलपुर प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और संवेदनशीलता से कार्रवाई करता है और क्या सपना गुप्ता को फिर से उनका घर और गरिमा मिल पाएगी।