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कोयलारी सरकारी स्कूल:- जर्जर भवन की छत से गिरा प्लास्टर, सात वर्षीय छात्र गंभीर घायल

शिक्षा विभाग की लापरवाही से फिर उजागर हुई सरकारी स्कूलों की बदहाल हकीकत

उमरिया, कोयलारी

जिले के कोयलारी गांव स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय में गुरुवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया। स्कूल की पुरानी छत से अचानक प्लास्टर गिर गया, जिसकी चपेट में आकर सात वर्षीय छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। मौके पर मौजूद शिक्षक और अन्य स्टाफ ने तुरंत बच्चे को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज जारी है।

पुरानी इमारत बनी बच्चों के लिए खतरा
जानकारी के मुताबिक, कोयलारी प्राथमिक विद्यालय का भवन कई दशकों पुराना है और लंबे समय से जर्जर हालत में खड़ा है। छत और दीवारों में दरारें, लगातार झड़ता प्लास्टर और कमजोर संरचना के बावजूद यहां रोजाना बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। जिले में ऐसे सैकड़ों स्कूल भवन हैं जो 25-35 साल पुराने हैं और मरम्मत की तत्काल जरूरत में हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि समय-समय पर इस भवन के खतरे की सूचना अधिकारियों को दी गई, लेकिन सुधार के नाम पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

शिक्षा विभाग बना मूकदर्शक
पिछले कई वर्षों से मीडिया और जनप्रतिनिधियों द्वारा इन जर्जर स्कूल भवनों को लेकर आवाज उठाई जा रही है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से निरीक्षण और मरम्मत सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई। इस लापरवाही का नतीजा गुरुवार का हादसा है, जिसमें मासूम की जान जाते-जाते बची।

जिला शिक्षा अधिकारी को भी नहीं थी जानकारी
घटना के बाद जब जिला शिक्षा अधिकारी आर.एस. मरावी से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा—”मैं बोलता हूं बीआरसी को”। उनका यह बयान जिले की शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर बयां करता है, जहां जमीनी हालात की जानकारी तक अधिकारियों को नहीं है।

बड़ा सवाल — कब जागेगा विभाग?
यह हादसा केवल एक चेतावनी है। सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? यदि समय रहते जर्जर स्कूल भवनों की पहचान कर उनकी मरम्मत नहीं की गई, तो बच्चों की सुरक्षा हर दिन खतरे में रहेगी।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस घटना के बाद जिले के सभी पुराने स्कूल भवनों का तकनीकी निरीक्षण कराया जाए और जरूरत पड़ने पर तुरंत नई इमारत का निर्माण किया जाए।

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कोयलारी स्कूल हादसा एक बार फिर यह साबित करता है कि शिक्षा के अधिकार के साथ-साथ बच्चों को सुरक्षित माहौल देना भी प्रशासन की जिम्मेदारी है। अब वक्त आ गया है कि अधिकारी कागजी कार्रवाइयों से बाहर निकलकर जमीनी स्तर पर काम करें, ताकि मासूम जिंदगी दांव पर न लगे।

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