गुना (मध्यप्रदेश)।
हनुमान जयंती के मौके पर गुना जिले में निकाले गए धार्मिक जुलूस के दौरान भड़की हिंसा ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है। घटना के बाद भले ही हालात काबू में हों, लेकिन इलाके में अब भी तनाव और अविश्वास का माहौल बना हुआ है। इस पूरे मामले में पुलिस जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिनमें एक बीजेपी पार्षद का नाम भी शामिल है।
पुलिसकर्मी ने दर्ज कराई एफआईआर
इस मामले का सबसे अहम पहलू तब सामने आया जब एक पुलिसकर्मी ने खुद इस घटना को लेकर एफआईआर दर्ज कराई। पुलिसकर्मी महेश द्वारा दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, 12 अप्रैल को कोल्हूपुरा से निकला हनुमान जयंती का जुलूस बिना अनुमति के कर्नलगंज इलाके से गुजरा, जो कि संवेदनशील माना जाता है।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि बीजेपी पार्षद ओमप्रकाश उर्फ गब्बर कुशवाह और उसके साथियों ने मस्जिद के सामने बिना अनुमति डीजे बजाया और धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले नारे लगाए, जिससे स्थिति बिगड़ गई। इसी दौरान पथराव शुरू हो गया और हालात अचानक बेकाबू हो गए।
दर्ज हुईं तीन एफआईआर, 38 नामजद
घटना को लेकर अब तक तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं। एक पुलिसकर्मी महेश की ओर से, दूसरी स्थानीय निवासी इरफान की ओर से और तीसरी घटना से जुड़े अन्य पक्ष की ओर से।
पुलिस ने कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें एक समुदाय के 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दूसरे पक्ष से चार नामजद और 15 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज हुई है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, संवेदनशील इलाकों से जुलूस नहीं निकाले जाने चाहिए। लेकिन दुर्भाग्यवश, जानबूझकर ऐसी जगहों का चयन कर टकराव को बढ़ावा दिया जा रहा है।”
प्रशासन की सतर्कता और स्थानीय स्थिति
घटना के तुरंत बाद प्रशासन ने मोर्चा संभाला। कलेक्टर और एसपी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रण में लिया। इलाके में अब शांति है, लेकिन सामाजिक ताने-बाने को गहरा नुकसान पहुंचा है। स्थानीय लोगों में भय और अविश्वास व्याप्त है।
लोगों का मानना है कि इस घटना ने आपसी भरोसे को तोड़ दिया है और सामाजिक रिश्तों को दोबारा मजबूत करने में लंबा समय लगेगा। प्रशासन ने एहतियातन इलाके में लगातार गश्त बढ़ा दी है, लेकिन आमजन का डर अभी भी कायम है।
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गुना में हुई इस हिंसा ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि धार्मिक आयोजनों में ज़रा सी लापरवाही कितनी बड़ी घटना का रूप ले सकती है। जुलूस की अनुमति, पुलिस निर्देशों की अनदेखी और उकसावे जैसे तत्वों ने मिलकर एक संवेदनशील इलाके में तनाव को जन्म दिया। अब देखना होगा कि पुलिस की जांच क्या निष्कर्ष निकालती है और क्या दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई हो पाएगी।