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ग्वालियर में अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट, रामकृष्ण आश्रम के सचिव से साइबर ठगी

ग्वालियर में साइबर अपराध का अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें रामकृष्ण आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदीप्तानंद (सचिन) को शातिर साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया। ठगों ने खुद को नासिक पुलिस अधिकारी बताकर फोन किया और मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे मामले में फंसाने की धमकी देकर ठगी को अंजाम दिया।

मामला 17 मार्च को शुरू हुआ, जब स्वामी को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को नासिक पुलिस का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम से केनरा बैंक में एक खाता है, जिसमें 20 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है। इस बात से हैरान स्वामी ने जब इस खाते से किसी प्रकार के संबंध से इनकार किया, तो ठगों ने व्हाट्सएप पर बैंक स्टेटमेंट, खाता विवरण और पीडीएफ डॉक्युमेंट्स भेजकर उन्हें डराया।

साइबर ठगों ने जांच के बहाने कहा कि संबंधित खाते से पैसे निकाल कर जांच की जाएगी और बाद में राशि लौटा दी जाएगी। लेकिन जब तीन दिन तक रकम वापस नहीं आई, तो स्वामी ने ग्वालियर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस जांच में सामने आया कि यह ठगी देशभर के 24 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर की गई रकम के जरिए की गई है। साथ ही, जांच एजेंसियों को 50 और संदिग्ध बैंक खातों के लिंक मिलने की संभावना जताई जा रही है।

साइबर अपराधियों ने पूरे 26 दिन तक “डिजिटल अरेस्ट” की तकनीक अपनाई। इस दौरान वे लगातार कॉल, मैसेज और फर्जी दस्तावेजों के जरिए पीड़ित पर मानसिक दबाव बनाते रहे, जिससे वह भ्रमित हो गया और उनकी बातों में आ गया।

इस हाई-प्रोफाइल मामले की गंभीरता को देखते हुए दो अलग-अलग टीमों में कुल 10 अधिकारियों को जांच में लगाया गया है। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर कुछ संदिग्धों की पहचान भी कर ली है और जल्द ही गिरफ़्तारियाँ होने की संभावना है।

क्राइम ब्रांच का कहना है कि यह मामला डिजिटल ठगी के नए और खतरनाक ट्रेंड की ओर इशारा करता है, जिसमें अपराधी तकनीक का इस्तेमाल कर आम नागरिकों को नहीं बल्कि धर्मगुरुओं और सामाजिक प्रतिष्ठाओं को भी निशाना बना रहे हैं।

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जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि इस तरह की कॉल्स से सतर्क रहें, कोई भी बैंक या पुलिस अधिकारी फोन पर इस प्रकार की जानकारी नहीं मांगता। किसी भी संदिग्ध कॉल की तुरंत सूचना साइबर हेल्पलाइन या नजदीकी थाने में दें।

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