मध्य प्रदेश में आयोजित आरक्षक जीडी भर्ती परीक्षा 2023 में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसने राज्य की भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्वालियर पुलिस द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ कि पांच अभ्यर्थियों ने परीक्षा में सॉल्वरों (दूसरे व्यक्ति) को बैठाकर धोखाधड़ी की। इस मामले में ग्वालियर के कंपू थाना में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और सभी आरोपी फरार हैं।
फर्जीवाड़े की पूरी कहानी
जानकारी के मुताबिक, परीक्षा से पहले इन पांचों अभ्यर्थियों ने अपने आधार कार्ड में बायोमेट्रिक और फोटो अपडेट कराए। यह बदलाव परीक्षा से कुछ हफ्ते पहले जुलाई 2023 में किए गए थे। इस अपडेट के दौरान असली उम्मीदवारों की जगह सॉल्वरों की तस्वीरें और फिंगरप्रिंट दर्ज किए गए। इसके बाद जब 16 अगस्त से 15 सितंबर 2023 के बीच भर्ती परीक्षा आयोजित हुई, तब उन्हीं सॉल्वरों ने असली उम्मीदवारों के नाम पर परीक्षा दी।
परीक्षा के बाद, जब चयन की प्रक्रिया शुरू हुई और अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच की गई, तो फॉर्म में लगी तस्वीर और अभ्यर्थियों की वास्तविक पहचान में अंतर सामने आया। इस दौरान यह भी सामने आया कि परीक्षा के बाद इन अभ्यर्थियों ने फिर से आधार अपडेट कराकर अपना असली फोटो और बायोमेट्रिक दोबारा दर्ज करवा लिया था। इस तरह उन्होंने सॉल्वरों के पहचान चिह्नों को हटाकर अपने असली पहचान को बहाल कर लिया।
कैसे हुआ खुलासा?
जब दस्तावेजों का वेरिफिकेशन हुआ, तो पुलिस को संदेह हुआ कि कुछ अभ्यर्थियों की हस्तलिपि, फोटो और हस्ताक्षर परीक्षा फॉर्म से मेल नहीं खा रहे। इसके बाद पुलिस ने मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल से रिकार्ड मंगवाया। जांच में यह पुष्टि हो गई कि परीक्षा के समय सॉल्वरों ने परीक्षा दी थी।

इस खुलासे के बाद 14वीं वाहिनी विसबल के उपनिरीक्षक रघुनंदन शर्मा ने कंपू थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने धोखाधड़ी, कूटरचना और आपराधिक साजिश जैसी धाराओं में मामला दर्ज कर जांच तेज कर दी है।
जिन अभ्यर्थियों पर केस दर्ज हुआ है:
- दीपक सिंह रावत – निवासी श्योपुर
- उमेश रावत – निवासी सबलगढ़, मुरैना
- हक्के रावत – निवासी नरवर, शिवपुरी
- इमरान – निवासी जौरा, मुरैना
- विवेक – निवासी पोरसा, मुरैना
SSP ग्वालियर का बयान
ग्वालियर के एसएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया,
“चयनित अभ्यर्थियों ने परीक्षा में सॉल्वरों को बैठाकर धोखाधड़ी की है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और तलाश जारी है।”
सामने आए कई सवाल
इस मामले से कई बड़े सवाल खड़े हुए हैं:
- आधार कार्ड में बार-बार बायोमेट्रिक बदलाव कैसे संभव हुआ?
- क्या इसमें आधार केंद्रों की मिलीभगत थी?
- परीक्षा केंद्रों पर बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
- क्या यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा है, जो पैसे लेकर सॉल्वर बैठाता है?
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ग्वालियर में सामने आया यह फर्जीवाड़ा केवल एक परीक्षा से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस तरह डिजिटल पहचान प्रणाली और भर्ती परीक्षाओं की सुरक्षा के बीच गंभीर खामियां मौजूद हैं। अगर समय रहते ऐसी धोखाधड़ी पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह पूरे राज्य की परीक्षा प्रणाली की साख को गिरा सकता है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह आधार सत्यापन व्यवस्था की पारदर्शिता, परीक्षा केंद्रों की निगरानी और सॉल्वर गैंग के नेटवर्क की तह तक जाए और दोषियों को जल्द पकड़कर सख्त सजा दे। तभी भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़ों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।