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ग्वालियर में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने खुद उठाया फावड़ा, नाली की सफाई कर अफसरों को दी सख्त चेतावनी

ग्वालियर मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एक बार फिर अपनी ज़मीन से जुड़ी कार्यशैली के लिए चर्चा में हैं। रविवार को ग्वालियर के वार्ड क्रमांक 16 के रेशम मील क्षेत्र में बिना किसी पूर्व सूचना के निरीक्षण पर पहुंचे मंत्री तोमर ने इलाके में गंदगी और जलभराव की शिकायतें मिलने पर खुद ही फावड़ा उठाया और नाली की सफाई में जुट गए। इसके बाद उन्होंने मौके पर मौजूद नगर निगम अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगाई।

बिना लाव-लश्कर के पहुंचे मंत्री, खुद संभाला मोर्चा

स्थानीय लोगों की शिकायतों के आधार पर मंत्री तोमर अचानक ही रेशम मील क्षेत्र पहुंचे। जब उन्होंने वहां की खस्ताहाल नालियों और भरे हुए गंदे पानी की स्थिति देखी, तो बिना कुछ कहे खुद फावड़ा थाम लिया और सफाई शुरू कर दी। उन्होंने स्थानीय लोगों को भी सफाई के लिए आगे बुलाया और प्रशासन को एक सीधा संदेश दिया— “अगर अधिकारी लापरवाह हैं, तो जनता के बीच उतरकर काम करना ही पड़ेगा।”

अधिकारियों को चेतावनी – अब मैदान में दिखेगी जवाबदेही

सफाई के बाद मंत्री तोमर ने नगर निगम के अधिकारियों को सख्त लहजे में चेतावनी देते हुए कहा,

“जनता को मूलभूत सुविधाएं देना हमारी प्राथमिकता है। स्वच्छता में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि अगली बार ऐसी स्थिति दोबारा मिली तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।”

जनसम्पर्क के दौरान मिलीं कई शिकायतें, तत्काल दिए निर्देश

रेशम मील क्षेत्र से आगे बढ़ते हुए मंत्री तोमर ने वार्ड के अन्य इलाकों में भी जनसम्पर्क किया। यहां लोगों ने पेयजल सप्लाई, सीवर लाइन, स्ट्रीट लाइट, और सड़क मरम्मत से जुड़ी समस्याएं उठाईं। मंत्री ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए और कई शिकायतों के समाधान के लिए 3 से 7 दिन की समय-सीमा तय की।

पहले भी दिख चुका है ‘मैदान में मंत्री’ वाला अंदाज

यह पहला मौका नहीं है जब प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सफाई अभियान में खुद भाग लिया हो। इससे पहले भी वे नालियों की सफाई, झाड़ू लगाने और कचरा हटाने जैसे कार्यों में खुद सक्रिय रूप से भाग ले चुके हैं। मंत्री तोमर की यह शैली न केवल जनता के साथ सीधा जुड़ाव बनाती है, बल्कि प्रशासनिक मशीनरी को भी जवाबदेह और सतर्क बनाती है।

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नेतृत्व मैदान से दिखता है

प्रद्युम्न सिंह तोमर का यह ताजा निरीक्षण एक बार फिर यह साबित करता है कि सच्चा नेतृत्व सिर्फ दफ्तरों में बैठकर नहीं, बल्कि मैदान में उतरकर समस्याएं हल करने से होता है। जहां एक ओर जनता को राहत मिलती है, वहीं अधिकारी भी सतर्क हो जाते हैं कि मंत्री कभी भी निरीक्षण पर आ सकते हैं।

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