मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर अपने दरियादिल और जनसेवी अंदाज के लिए चर्चा में हैं। रविवार को भोपाल के अवधपुरी इलाके में आयोजित जैन समाज के कार्यक्रम में शामिल होने जाते समय चेतक ब्रिज पर घायल युवक को देखकर उन्होंने अपना काफिला बीच रास्ते में रुकवा दिया और घायल को तुरंत अस्पताल भिजवाया।
सड़क पर दिखी भीड़, मामा ने तुरंत लिया एक्शन
बताया जा रहा है कि चेतक ब्रिज पर शिवराज सिंह चौहान का काफिला गुजर रहा था। इसी दौरान उन्होंने सड़क पर लोगों की भीड़ देखी, तो गाड़ी रुकवाकर खुद उतर पड़े। पास जाकर देखा तो एक युवक सड़क हादसे में घायल पड़ा हुआ था। स्थिति को भांपते ही शिवराज ने अपने स्टाफ से कहा –
“घबराना मत, मामा साथ है”।
घायल को भेजा अपनी गाड़ी में अस्पताल
शिवराज सिंह चौहान ने तुरंत युवक को अपनी गाड़ी में बैठाकर अस्पताल भिजवाया। इसके साथ ही उन्होंने संबंधित अस्पताल प्रबंधन को फोन कर घायल का तुरंत इलाज शुरू करने के निर्देश दिए। साथ ही एक अधिकारी को मौके से अस्पताल पहुंचने को कहा, ताकि घायल युवक को किसी भी तरह की परेशानी ना हो।
जनता ने जताया आभार – “मामा हम आपको मिस करते हैं”
इस पूरे घटनाक्रम के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने तालियों और नारों से शिवराज का स्वागत किया। कई लोगों ने कहा –
“मामा हम आपको बहुत मिस करते हैं, आप सच में जनता के नेता हैं!”
कुछ ने कहा कि यही फर्क है एक जननेता और रस्मी नेता में। जो सिर्फ भाषण नहीं देते, बल्कि मौके पर मदद करते हैं।

जनता से गहरा जुड़ाव, बार-बार मिलते हैं ऐसे उदाहरण
शिवराज सिंह चौहान को लोग “मामा” कहकर बुलाते हैं और उनकी छवि एक भावुक, संवेदनशील और जमीनी नेता की रही है। चाहे बाढ़ हो, सड़क हादसा हो या किसी गरीब की परेशानी – शिवराज कई बार मौके पर पहुंचकर व्यक्तिगत रूप से मदद करते रहे हैं।
इससे पहले भी जब वे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कई बार बच्चों को अस्पताल पहुंचाया, बुजुर्गों के इलाज का खर्च उठाया और गरीब बेटियों की शादी में खुद शामिल होकर आशीर्वाद भी दिया।
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इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि राजनीति में संवेदनशीलता और मानवता सबसे बड़ी शक्ति होती है। शिवराज सिंह चौहान का यह मानवीय चेहरा न सिर्फ उनके समर्थकों को गर्व से भरता है, बल्कि राजनीति के मंच पर एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
जनता ने जब कहा, “मामा, हम आपको बहुत मिस करते हैं”, तो शायद यह सिर्फ एक भावनात्मक टिप्पणी नहीं थी, बल्कि उस विश्वास का प्रतीक है, जो लोग एक सच्चे जनसेवक में ढूंढते हैं।