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चित्रकूट: जर्जर शासकीय माध्यमिक शाला की चिंताजनक स्थिति

चित्रकूट: मध्य प्रदेश के चित्रकूट जिले के धार्मिक नगर, चित्रकूट के नगर पंचायत क्षेत्र में स्थित ग्राम पोखरवार की शासकीय माध्यमिक शाला की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। इस विद्यालय का भवन, जो कि आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए संचालित है, अब दो जर्जर कमरों में सिमट कर रह गया है। मात्र 20 वर्षों में ही यह भवन इतनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है कि उसकी छत कभी भी गिर सकती है, और इसका कोई भरोसा नहीं है।

चित्रकूट

वर्तमान स्थिति

इस विद्यालय की स्थापना 1977 में हुई थी, और तब इसका संचालन खुले आसमान के नीचे किया जाता था। लगभग 25 वर्षों तक पठन-पाठन की गतिविधियाँ इसी प्रकार चलती रहीं, और अंततः 2001 में दो कमरों का भवन बना दिया गया। उस समय यह विद्यालय केवल 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, इस विद्यालय को माध्यमिक शाला के रूप में उन्नत कर दिया गया और 8वीं कक्षा तक पढ़ाई शुरू की गई। हालांकि, न तो नया भवन बनवाया गया और न ही अतिरिक्त कक्षों का निर्माण किया गया। परिणामस्वरूप, पहले से ही जर्जर भवन में ही सभी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।

भवन की स्थिति

भवन की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। छत का सरिया बाहर झांकने लगा है और गिट्टी, बालू, और सीमेंट एक दूसरे से अलग हो गए हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए चित्रकूट नगर पंचायत के पूर्व सीएमओ रमाकांत शुक्ला ने तीन वर्ष पहले जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया था, लेकिन तबादले के बाद इस मुद्दे पर कोई प्रगति नहीं हुई। अब, जून 2024 में वर्तमान सीएमओ विशाल सिंह ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीईओ को पत्र लिखकर जर्जर भवन में सभी गतिविधियाँ बंद करने का आग्रह किया है। अब यह पत्र लिखने का दौरा कब तक चलेगा वह तो प्रशासन के ऊपर है

भवन की स्थिति
शिक्षकों की स्थिति

इस विद्यालय में 8वीं कक्षा तक कुल 62 विद्यार्थी हैं, जबकि शिक्षकों की संख्या केवल 2 है। हेड मास्टर रविन्द्र सिंह और देशराज प्रजापति विद्यालय में अध्यापन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। रविन्द्र सिंह ने बताया कि जर्जर छत वाले कमरों में पढ़ाई पर रोक लगा दी गई है और बच्चों को अब बाहर बैठा कर पढ़ाया जा रहा है। अस्थायी तौर पर लकड़ी और पन्नी से छाया बनाई गई है।

सुविधाओं की कमी

विद्यालय तक पहुंचने का रास्ता भी बहुत कठिन है। यहाँ तक पहुंचने के लिए या तो ऊंची सीढ़ियों से चढ़ना पड़ता है या यूपी बॉर्डर से होकर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। रास्ता भी पहाड़ी बोल्डरों से भरा हुआ है, जिससे दोपहिया वाहन से आवागमन भी जोखिम भरा है। विद्यालय में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालय बनाया जा सका है। इसके आसपास मोबाइल नेटवर्क भी नहीं होता है।

समाधान की आवश्यकता

यह स्थिति मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण सरकारी विद्यालयों की गंभीर समस्या को दिखाती है इसके समाधान के लिए तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थी सुरक्षित और सुविधाजनक परिवेश में रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकें

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