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छतरपुर में बेकाबू बारिश ने ली एक की जान, बह गई पिकअप; जनजीवन बेहाल, प्रशासन लापरवाह!

छतरपुर, मध्यप्रदेश: जिले में लगातार जारी तेज बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। रविवार सुबह एक दर्दनाक हादसे में छतरपुर-टीकमगढ़ मार्ग पर पचेर घाट में एक मालवाहक पिकअप तेज बहाव में बह गई। हादसे में वाहन के चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पिकअप में सवार दो अन्य युवक बहते पानी के बीच संघर्ष करते हुए पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाने में सफल रहे

सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि जहां यह हादसा हुआ, वहां पुलिया पहले से ही बह चुकी थी, बावजूद इसके न कोई बैरिकेडिंग थी, न ही कोई चेतावनी संकेत। यह प्रशासनिक लापरवाही अब लोगों की जान पर भारी पड़ रही है।

पेड़ बना जीवन का सहारा

हादसे में जान बचाने वाले युवक बुरी तरह डरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि जब वाहन पानी में डूबने लगा, तो वे दोनों किसी तरह बाहर निकले और बहाव में बहते हुए पास के एक पेड़ पर चढ़ गए। वे रातभर वहीं फंसे रहे और सुबह ग्रामीणों ने उन्हें बचाया। लेकिन ड्राइवर पानी में बह गया, जिसका शव कुछ घंटे बाद नीचे के हिस्से में मिला।

जिलेभर में तबाही का आलम

  • देवगांव-देवरा मार्ग पर बन्ने नदी उफान पर है, जिससे पुल के दोनों ओर की सड़कें बह गई हैं। आवागमन पूरी तरह ठप हो चुका है, दर्जनों वाहन फंसे हुए हैं, और ग्रामीण वैकल्पिक मार्गों से गुजरने को मजबूर हैं।
  • बिजावर-मातगुंवा मार्ग का रगोली पुल भी बह गया है, जिससे बिजावर से सागर और कानपुर का संपर्क टूट गया है।
  • छतरपुर-सटई रोड पर रौरा गांव के पास भी पुल की सड़क बहने से पूरा मार्ग बंद हो गया है।
  • देवरा क्षेत्र में 6 बिजली के खंभे बह गए हैं, जिससे कई गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं। इस कारण जरूरी सेवाएं पूरी तरह ठप हैं।

प्रशासन पर उठे सवाल

बारिश से उपजे संकट के बाद लोगों में गुस्सा और नाराजगी साफ दिख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को बारिश से पहले ही सावधानी के उपाय करने चाहिए थे। लेकिन न तो नदी-नालों पर चेतावनी बोर्ड लगाए गए, और न ही पुलों की हालत जांची गई

हादसे वाली जगह पर अगर पहले से बैरिकेडिंग होती, तो एक जिंदगी बच सकती थी। अब आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या कहता है प्रशासन?

फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। ना ही राहत और बचाव कार्य की गति को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी दी गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि बारिश का यही दौर बना रहा, तो और भी हादसों की आशंका है। वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द चेतावनी संकेत, बैरिकेडिंग और वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था की जाए।

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छतरपुर जिले में जारी बारिश अब सिर्फ प्राकृतिक आपदा नहीं रह गई है, यह प्रशासन की लापरवाही और सिस्टम की नाकामी का जीवंत उदाहरण बन गई है। एक और जान चली गई, कई गांव अंधेरे में हैं, रास्ते टूट चुके हैं, और लोग बेसहारा हैं। ज़रूरत है कि अब जिला प्रशासन नींद से जागे और तत्काल प्रभाव से आपात प्रबंधन और जन सुरक्षा के कदम उठाए, वरना आने वाले दिन और भी भारी पड़ सकते हैं।

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