जब पैसे की कमी के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते, तो उनके परिजन की मायूसी का कोई आंकलन नही कर सकता। और ऐसे ही प्रतिकूल परिस्थिति से जूझते बच्चो के लिए सरकार कई स्कूल और छात्रावास का निर्माण करती है, इन्हे सारी सुविधाएं मिल सके और उनकी शिक्षा बिना किसी रुकावट के पूरी हो जाए उसके लिए अच्छा खासा पैसा दिया जाता है, लेकिन जिस शख्स को इनकी देखरेख के लिए रखा जाए वही इनको परेशान करने लगे तो, बच्चो की मुश्किल कम होने की बजाय और बढ़ती जायेगी। https://youtu.be/SVFIldG6eWk?si=yxVBykcROEjyM0_Y
ये मामला सीधी के नौढीया बालक छात्रावास है, जहा पर दो महीने से मेंस बंद है और अधीक्षक डीके द्विवेदी से पूछने पर कुछ भी टालने के लिए जवाब मिलता है।
नकी और भी शिकायते है, ना तो उन्हे मीनू चार्ट के हिसाब से खाना मिलता और आवाज उठाने पर अनिल जायसवाल उन्हे अपशब्द कहते है, जब उन्होंने इससे पूर्व कलेक्टर से इसकी शिकायत की थी तो अभी तक उसकी कोई कार्यवाही नहीं हुई। मजबूरन उन्हें दुबारा 16 जुलाई को जनसुनवाई में छात्रावास अधीक्षक की शिकायत लेकर पहुंचे। करीब 20 बच्चे शिकायत लेकर गए बताया की न तो भोजन सामग्री ना ही समय पर नाश्ता दिया जाता है। उन्होंने ये भी बताया की हर त्योहार में हॉस्टल की छुट्टी कर दी जाती है, भले त्योहार एक ही दिन का क्यू ना हो, इस वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता।आशा करते है ऐसे हॉस्टल अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही हो। अगर बच्चो का समय इन सब आवेदन में जायेगा तो वो पढ़ाई कैसे कर पाएंगे। https://youtu.be/SVFIldG6eWk?si=yxVBykcROEjyM0_Y