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जबलपुर में रिश्वतखोरी पर लोकायुक्त का करारा प्रहार, 5000 की रिश्वत लेते आरक्षक रंगे हाथों गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में पुलिस थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। लोकायुक्त पुलिस ने सोमवार को ओमती थाना में पदस्थ आरक्षक नीतेश शुक्ला को 5000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई अंधेरेदेव निवासी अभिषेक (शिवम) चौरसिया की शिकायत पर की गई।

मामला क्या है?

शिकायतकर्ता शिवम चौरसिया का किसी के साथ लेन-देन का विवाद चल रहा था। इस सिलसिले में उसकी बुलेट मोटरसाइकिल और जेवरात पुलिस ने जब्त कर लिए थे। जब शिवम ने मामला निपटाने के लिए ओमती थाने से संपर्क किया तो आरक्षक नीतेश शुक्ला ने 55 हजार रुपये की रिश्वत मांगी।

शिवम ने इसकी शिकायत लोकायुक्त जबलपुर कार्यालय में की। लोकायुक्त टीम ने जाल बिछाकर रिश्वत की पहली किश्त 5000 रुपये जैसे ही आरक्षक ने ली, उसे मौके पर ही पकड़ लिया गया। ट्रैप ऑपरेशन के बाद आरोपी को सर्किट हाउस ले जाकर पूछताछ की गई और बयान दर्ज किए गए।

भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी

लोकायुक्त की इस कार्रवाई ने जबलपुर शहर और ग्रामीण इलाकों के थानों में फैले भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है।

  • चरित्र सत्यापन से लेकर एफआईआर दर्ज कराने तक हर प्रक्रिया में पैसे की मांग आम बात बन चुकी है।
  • कई पुलिसकर्मी सालों से एक ही थाने में जमे हुए हैं, जबकि नियमानुसार हर 6 साल में उनका स्थानांतरण होना चाहिए।
  • कुछ पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर ऑर्डर निकलने के बावजूद, उन्हें थानों से हटाया नहीं गया है।

उच्च अधिकारियों की उदासीनता

हाल ही में पुलिस विभाग ने 6 साल से अधिक समय से एक ही स्थान पर कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण का आदेश जारी किया था, लेकिन जमीनी स्तर पर इस आदेश को नज़रअंदाज कर दिया गया। इससे स्थानीय स्तर पर सांठगांठ और भ्रष्टाचार को बल मिला है।

अगला कदम?

इस गिरफ्तारी के बाद अब प्रशासन और पुलिस विभाग पर दबाव बढ़ गया है कि वह:

  • ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
  • लंबे समय से एक ही थाने में जमे पुलिसकर्मियों का तुरंत ट्रांसफर करें।
  • थानों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाएं।

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जबलपुर में लोकायुक्त की कार्रवाई न केवल एक भ्रष्ट पुलिसकर्मी का पर्दाफाश है, बल्कि यह पुलिस व्यवस्था में गहराई से फैले भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करता है। जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि क्या यह कार्रवाई केवल एक उदाहरण भर है, या प्रशासन अब व्यवस्था की सफाई के लिए गंभीर कदम उठाएगा?

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि पुलिस विभाग में सुधार की सख्त ज़रूरत है, और यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो जनता का भरोसा और टूट सकता है

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