जबलपुर: मध्य प्रदेश के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट ईयर के छात्र शिवांश गुप्ता की आत्महत्या ने पूरे कॉलेज परिसर को हिलाकर रख दिया है। 18 वर्षीय छात्र ने कॉलेज हॉस्टल की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
अब परिजनों ने इस आत्महत्या को रैगिंग से जोड़ा है और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। मामला सामने आते ही शिक्षा विभाग और कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
क्या है पूरा मामला?
शिवांश गुप्ता रीवा का रहने वाला था। वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट ईयर एमबीबीएस का छात्र था और कॉलेज हॉस्टल में रह रहा था। गुरुवार को उसने चौथी मंजिल से छलांग लगाई, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
परिजनों का आरोप: “रैगिंग की वजह से तोड़ा दम”
शिवांश के चाचा दिनेश गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आत्महत्या से तीन दिन पहले शिवांश ने अपनी मां को फोन पर बताया था कि उसे हॉस्टल में सीनियर छात्र रैगिंग कर रहे हैं। उनके अनुसार, रैगिंग का कारण यह था कि शिवांश ने नई मोटरसाइकिल खरीदी थी, जिससे कुछ सीनियर ईर्ष्या करने लगे थे।
परिजनों का कहना है कि शिवांश मानसिक दबाव में था, लेकिन उसने अपने माता-पिता को पूरी बात नहीं बताई क्योंकि वह उन्हें चिंता में नहीं डालना चाहता था।
मोबाइल सर्विलांस और निष्पक्ष जांच की मांग
परिजनों ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और कॉलेज हॉस्टल में रहने वाले सभी छात्रों के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड की जांच की जाए। उनका कहना है कि हॉस्टल में रैगिंग की घटनाएं दबाई जाती हैं, जिससे कई छात्रों को डर के साये में जीना पड़ता है।
परिजनों ने यह भी मांग की है कि कॉलेज प्रशासन और हॉस्टल वार्डन की भूमिका की जांच हो, ताकि यह साफ हो सके कि रैगिंग को लेकर क्या कदम उठाए गए थे।

कॉलेज प्रशासन का बयान
कॉलेज के डीन डॉ. नवीन सक्सेना ने इस घटना पर दुख जताते हुए बताया कि जांच के लिए पांच प्रोफेसरों की कमेटी बनाई गई है। उन्होंने कहा कि जिस हॉस्टल में शिवांश रह रहा था, वह सिर्फ फर्स्ट ईयर छात्रों के लिए आरक्षित है, इसलिए सीनियर छात्रों द्वारा रैगिंग की संभावना कम लगती है।
डीन ने यह भी कहा कि मामले की गहराई से जांच होगी और अगर कोई भी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिवांश की पारिवारिक पृष्ठभूमि
शिवांश के पिता संतोष गुप्ता एक सीमेंट फैक्ट्री में काम करते हैं, जबकि मां अर्चना गुप्ता गृहिणी हैं। शिवांश की दोनों बहनें गुड़गांव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं और डॉक्टर बनने की राह पर हैं। परिवार को बेटे से बहुत उम्मीदें थीं।
अब क्या आगे?
इस घटना के बाद कॉलेज प्रशासन, पुलिस और मेडिकल एजुकेशन विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आत्महत्या जैसे मामलों में यदि रैगिंग जैसी घिनौनी वजह सामने आती है, तो यह सिर्फ एक संस्थान का नहीं, पूरे शिक्षा तंत्र का दोष माना जाएगा।
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शिवांश की आत्महत्या केवल एक छात्र की मौत नहीं है, यह सिस्टम की चुप्पी और लापरवाही पर एक करारा तमाचा है। अगर वास्तव में रैगिंग के कारण एक होनहार छात्र ने अपनी जान दे दी, तो दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए और ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए कठोर कदम उठाने होंगे।
अब सवाल यह है: क्या शिवांश को न्याय मिलेगा? और क्या ऐसी घटनाएं भविष्य में दोहराई नहीं जाएंगी?