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जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस सक्रिय, हर जिले से 6 नामों का पैनल तैयार

मध्य प्रदेश कांग्रेस में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर संगठनात्मक गतिविधियां तेज हो गई हैं। आगामी दिनों में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। दिल्ली में आयोजित 14 जुलाई की बैठक में इस विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, सभी ऑब्जर्वर और राष्ट्रीय संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

हर जिले से भेजे गए 6 नामों के पैनल

बैठक में प्रदेश कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान के तहत हर जिले से 6 संभावित नेताओं का पैनल तैयार कर दिल्ली में पेश किया। रिपोर्ट के अनुसार, इन नामों का चयन ज़मीनी फीडबैक, संगठनात्मक क्षमता और राजनीतिक सक्रियता के आधार पर किया गया है। यह पैनल 30 जून तक आलाकमान को भेज दिया गया था, जिस पर अब अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

गुजरात मॉडल को अपनाने की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, इस बार मध्य प्रदेश कांग्रेस गुजरात मॉडल को लागू करने की तैयारी में है। गुजरात में हाल ही में 40 में से 36 जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी, और सिर्फ 4 पुराने चेहरों को दोहराया गया था। मध्य प्रदेश में भी इसी तर्ज पर अधिकतर जिलों में नए और ऊर्जावान चेहरों को मौका देने की रणनीति अपनाई जा रही है।

PC शर्मा का बड़ा बयान

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने संकेत दिए हैं कि 15 अगस्त के मौके पर नए जिला अध्यक्ष तिरंगा फहराएंगे। यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि पार्टी जल्द ही नए जिला अध्यक्षों की घोषणा कर सकती है। शर्मा ने यह भी कहा कि एनजीओ, कार्यकर्ताओं और मीडिया से लगातार फीडबैक लेकर ही चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

इस बार की चयन प्रक्रिया में कांग्रेस नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा से करीबी रखने वाले नेता संगठन में जगह नहीं पाएंगे। ऐसे सभी नेताओं को जिला अध्यक्ष बनने की दौड़ से बाहर कर दिया गया है। इसके लिए नई गाइडलाइन भी जारी की गई है, जिसमें संगठन के प्रति पूर्ण निष्ठा और सक्रियता को पहली प्राथमिकता दी गई है।

4 लाख कार्यकर्ताओं से हुआ सीधा संवाद

संगठन सृजन अभियान के तहत पार्टी ने प्रदेशभर के 4 लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद किया, जिनसे न केवल स्थानीय मुद्दों की जानकारी ली गई, बल्कि योग्य कार्यकर्ताओं के नाम भी संकलित किए गए। यही जानकारी संगठन को और अधिक मजबूत और जीवंत बनाने के लिए आधार बनी।

राष्ट्रीय पर्यवेक्षक गांव-गांव कर रहे दौरा

प्रदेश कांग्रेस की मंशा केवल नाम बदलने की नहीं है, बल्कि वह जमीनी कार्यकर्ताओं को नेतृत्व में लाने की दिशा में भी कार्य कर रही है। यही कारण है कि दिल्ली से आए राष्ट्रीय पर्यवेक्षक खुद गांव-गांव जाकर संभावित जिला अध्यक्षों की योग्यता का आकलन कर रहे हैं। इससे साफ है कि इस बार की चयन प्रक्रिया अंदरूनी गुटबाजी से ऊपर उठकर एक पारदर्शी और मेरिट आधारित ढांचे पर आधारित होगी।

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कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व की यह कोशिश संगठन को नवजीवन देने और कार्यकर्ताओं में भरोसा पैदा करने का प्रयास मानी जा रही है। पुराने चेहरों को हटाकर नए और सक्रिय लोगों को मौका देने की रणनीति ने पार्टी के अंदर एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा भी शुरू कर दी है।

अब देखना यह होगा कि आलाकमान किस-किस नाम पर अंतिम मुहर लगाता है और क्या वाकई 15 अगस्त तक नए जिलाध्यक्षों की घोषणा हो जाती है या फिर यह प्रक्रिया अभी और लंबी खिंचती है।

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