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टीकमगढ़ अस्पताल में इलाज के नाम पर लापरवाही, पिता की सलाइन पकड़े मासूम का वीडियो वायरल

टीकमगढ़:- मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के जिला अस्पताल से एक बेहद संवेदनशील और शर्मनाक लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हकीकत को उजागर कर दिया है। वायरल हो रहे एक वीडियो में एक मासूम बच्चा अपने बीमार पिता की सलाइन बोतल हाथ में पकड़े बेड पर खड़ा नजर आ रहा है, क्योंकि अस्पताल में सलाइन स्टैंड मौजूद नहीं था।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला टीकमगढ़ के ग्राम सुंदरपुर का बताया जा रहा है। गुरुवार को पप्पू अहिरवार नामक मरीज को बुखार और दस्त (लूज मोशन) की शिकायत के चलते जिला अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती किया गया था। इलाज के दौरान जब नर्स ने उन्हें सलाइन चढ़ाई, तो स्टैंड की अनुपलब्धता के कारण उनके छोटे बेटे को बोतल पकड़ने को कह दिया गया। मजबूर बच्चा बेड पर खड़ा होकर अपने पिता के इलाज में “सलाइन स्टैंड” की भूमिका निभा रहा था।

इस बीच किसी ने इस स्थिति का वीडियो बना लिया, जो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पूरे स्वास्थ्य तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।

प्रशासन ने की तत्काल कार्रवाई

वीडियो सामने आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर ने तत्काल रोगी कल्याण समिति की आपात बैठक बुलाई और जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। जांच में लापरवाही की पुष्टि होने पर सर्जिकल वार्ड में तैनात वार्ड बॉय महेश वंशकार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर पलेरा स्वास्थ्य केंद्र से अटैच कर दिया गया है।

इसके अलावा ड्यूटी पर मौजूद तीन स्टाफ नर्सों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा गया है।

जिला अस्पताल की सहायक प्रबंधक डॉ. अंकुर साहू ने बताया,
“सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के बाद कलेक्टर और सिविल सर्जन के निर्देशानुसार तुरंत कार्रवाई की गई है। संबंधित वार्ड बॉय को निलंबित कर दिया गया है और विभागीय जांच शुरू हो गई है। तीन स्टाफ नर्सों को नोटिस जारी कर कारण बताओ नोटिस दिया गया है और भविष्य में इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

वायरल वीडियो ने खोली व्यवस्थाओं की पोल

इस वीडियो ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है, जहां बुनियादी संसाधनों का अभाव मरीजों को और उनके परिवार वालों को परेशानियों में डाल देता है। स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई और बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने की मांग की है।

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हालांकि त्वरित कार्रवाई की गई है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे स्वास्थ्य तंत्र में सुधार आएगा? क्या भविष्य में किसी मासूम को फिर से ‘सलाइन स्टैंड’ बनने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा?

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