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दिग्विजय सिंह का बाबा रामदेव पर हमला, ‘शरबत जिहाद’ बयान को बताया नफरत फैलाने वाला

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने योगगुरु बाबा रामदेव के हालिया बयान को लेकर कड़ा विरोध जताया है। भोपाल में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने उत्पाद ‘गुलाब शरबत’ की मार्केटिंग के लिए जानबूझकर धार्मिक भावना भड़काने का प्रयास किया और ‘रूह अफजा’ जैसे पेय को ‘शरबत जिहाद’ से जोड़ा।

दिग्विजय सिंह ने इस बयान को न केवल समाज को बांटने वाला बताया, बल्कि इसे देश के संविधान और सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ करार दिया। उन्होंने बाबा रामदेव को ‘व्यापारी’ बताते हुए कहा कि उन्होंने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की आड़ में नफरत फैलाकर अपने व्यावसायिक हित साधे हैं।

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह सोमवार को भोपाल के टीटी नगर थाने पहुंचे और बाबा रामदेव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 196(1)(क), 299 और आईटी एक्ट की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज करने की मांग की। उन्होंने पुलिस को सौंपे आवेदन में आरोप लगाया कि रामदेव का यह बयान एक विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाला है और देश की सामाजिक एकता को खंडित करने का प्रयास है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि रामदेव ने जिस “कंपनी” की ओर इशारा किया, वह हमदर्द कंपनी है, जो दशकों से भारत में यूनानी और आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ कंपनी के मुस्लिम स्वामित्व के कारण रामदेव ने उसके खिलाफ जहर उगला, जबकि वह कंपनी भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।

उन्होंने कहा, “क्या विप्रो, सिप्ला, हिमालया और मेट्रो शूज जैसी कंपनियों के मालिक भी जिहाद फैला रहे हैं, क्योंकि वे मुस्लिम हैं? इन कंपनियों में हजारों हिंदू कर्मचारी काम कर रहे हैं और उनके परिवारों का भरण-पोषण हो रहा है।”

दिग्विजय सिंह ने बीजेपी और आरएसएस पर भी हमला करते हुए कहा कि इन संगठनों ने धर्म का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा, “देश को बांटने और हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए समाज में घृणा का बीज बोया जा रहा है। बाबा रामदेव भी इसी योजना का हिस्सा हैं।”

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सिंह ने रामदेव द्वारा कोरोना महामारी के दौरान की गईं भ्रामक घोषणाओं की भी आलोचना की। उन्होंने याद दिलाया कि रामदेव ने कोविड वैक्सीन बनाने का दावा कर देश को गुमराह किया और पतंजलि के कई उत्पाद गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरते।

उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के बयान केवल व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने के लिए दिए जाते हैं, जो देश के संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ हैं।

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