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दिग्विजय सिंह ने बताई कमलनाथ सरकार गिरने की वजह, बोले- “मेरी कुंडली में ऐसा लिखा है”

भोपाल मध्य प्रदेश की सियासत में 2020 का राजनीतिक संकट आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने इस पर चुप्पी तोड़ते हुए बड़ा बयान दिया है। इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने विस्तार से बताया कि आखिर क्यों कांग्रेस की कमलनाथ सरकार महज 15 महीनों में गिर गई।

“जिन पर भरोसा किया, उन्होंने धोखा दिया”

दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका 15 साल बाद मिला था। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ ऐसे लोग, जिन पर पार्टी ने सबसे ज्यादा भरोसा किया, वही दगा कर गए। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बनी सहमति का टूटना जिम्मेदार था।

डिनर वाली सहमति और टूट गया भरोसा

दिग्विजय सिंह ने खुलासा किया कि एक डिनर के दौरान कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी थी। लेकिन बाद में कमलनाथ ने वह वादा नहीं निभाया। यही वजह रही कि सिंधिया नाराज हो गए और अंततः बीजेपी में शामिल हो गए।

“ये क्लैश ऑफ पर्सनालिटी था”

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह विचारधारा का टकराव था, तो उन्होंने कहा—

  • “यह आइडियोलॉजिकल क्लैश नहीं था, बल्कि क्लैश ऑफ पर्सनालिटी था। अगर ग्वालियर-चंबल से जुड़ी मांग मान ली जाती तो ऐसी नौबत ही नहीं आती।”

“झूठा प्रचार किया गया कि मेरी वजह से सरकार गिरी”

दिग्विजय सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार गिरने के पीछे उनका और सिंधिया का व्यक्तिगत विवाद जिम्मेदार नहीं था। उन्होंने कहा—

  • “ये झूठा प्रचार किया गया कि मेरी और सिंधिया की लड़ाई के कारण सरकार गई। असलियत यह नहीं है। यह मेरा दुर्भाग्य है कि मेरी कुंडली में ऐसा लिखा है कि दोष चाहे किसी और का हो, आरोप मेरे ही सिर आते हैं।”

सिंधिया का बीजेपी में जाना और सरकार का गिरना

मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। उनके साथ कई विधायक भी चले गए, जिसके चलते कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई। नतीजतन, 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस की सरकार महज 15 महीनों में गिर गई और बीजेपी ने फिर से सत्ता पर कब्जा कर लिया।

पृष्ठभूमि – 2018 का चुनाव और अंदरूनी नाराजगी

2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि उस समय से ही पार्टी में खींचतान की खबरें आती रहीं। खासकर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से सिंधिया समर्थकों की मांगों को अनसुना किया गया। यही असंतोष धीरे-धीरे बगावत में बदल गया।

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दिग्विजय सिंह के इस बयान से एक बार फिर मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इंटरव्यू ने साफ कर दिया है कि 2020 में सरकार गिरना केवल “आइडियोलॉजी की लड़ाई” नहीं, बल्कि सत्ता और व्यक्तित्व की जंग का नतीजा था।

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