दिल्ली के वसंत कुंज से एक सात साल के बच्चे के लापता होने की खबर से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, बच्चे को बारिश के दौरान पास के सीवर में गिरते देखा गया था, जिसके बाद पुलिस, एमसीडी और एनडीआरएफ की टीमें उसकी तलाश में जुट गईं। लेकिन 24 घंटे की तलाशी और भारी मशक्कत के बाद जो सच्चाई सामने आई, उसने सबको चौंका दिया — बच्चा घर में बिल्कुल सुरक्षित मिला।
कैसे शुरू हुआ मामला?
31 जुलाई की दोपहर दक्षिण दिल्ली के रजोकरी इलाके में पुलिस को सूचना मिली कि एक बच्चा लापता हो गया है। प्रत्यक्षदर्शी बने पास के स्कूल के बच्चों ने बताया कि वह बच्चा बारिश में खेलते वक्त सीवर में गिर गया। बच्चे की उम्र लगभग सात साल बताई गई। इसके बाद पुलिस, एनडीआरएफ और एमसीडी की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गईं।
सीवर की सफाई के लिए जेसीबी तक बुलवाई गईं। रातभर अभियान चला, पर बच्चे का कोई पता नहीं चला।
CCTV से मिली उम्मीद की किरण
तलाशी के दौरान पुलिस को घटनास्थल के आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज हाथ लगी। एक फुटेज में वह बच्चा सीवर की ओर जाता दिखा। लेकिन दूसरी फुटेज, जो कुछ ही दूरी पर लगे कैमरे की थी, उसमें वही बच्चा सीवर से दूर जाते हुए दिखाई दिया। दोनों वीडियो में लगभग 10 मिनट का अंतर था। इससे पुलिस को उम्मीद बंधी कि शायद बच्चा सुरक्षित है।
वायरल वीडियो ने पहुंचाया टीचर तक
बच्चे की तस्वीरें और वीडियो फुटेज दिल्ली पुलिस के व्हाट्सएप ग्रुप्स में वायरल किए गए। यहीं से वह वीडियो बच्चे के एक स्कूल टीचर तक पहुंचा, जिसने बच्चे की पहचान की और पुलिस को उसकी जानकारी दी। टीचर ने बताया कि बच्चा रजोकरी गांव का रहने वाला है और कक्षा तीन में पढ़ता है। इसके बाद पुलिस उसके परिवार तक पहुंची और सच्चाई सामने आई।

24 घंटे बाद मिला बच्चा घर पर
पुलिस जब उस पते पर पहुंची तो देखा कि बच्चा अपने घर पर सामान्य तरीके से खेल रहा है। पूछताछ में उसने बताया कि वह बारिश में खेलते हुए गलती से सीवर में गिर गया था। लेकिन सीवर का एक और हिस्सा खुला था जो करीब 20 मीटर दूर था। वहां से वह बाहर निकल आया और सीधे घर चला गया।
बच्चे ने बताया कि डर के मारे उसने किसी को कुछ नहीं बताया और सामान्य तरीके से दिन गुजारता रहा।
रेस्क्यू टीम और प्रशासन रहे उलझन में
बच्चे के लापता होने की खबर पर एनडीआरएफ, एमसीडी और दिल्ली पुलिस की टीमें लगभग 24 घंटे तक लगातार अभियान में जुटी रहीं। इलाके में खुदाई तक करवाई गई। प्रशासन ने पूरी गंभीरता के साथ इस मामले को लिया था। लेकिन अंतिम सच ने सभी को चौंका दिया।
इस मामले से क्या सबक?
इस पूरी घटना ने एक बार फिर ये साफ कर दिया कि शहरी क्षेत्रों में खुले सीवर और बारिश के समय सुरक्षा की कितनी ज्यादा जरूरत है। एक छोटा बच्चा आसानी से गिर सकता है, और अगर वह बाहर न आ पाता तो मामला गंभीर हो सकता था। साथ ही यह घटना दर्शाती है कि कितनी जल्दी अफवाहें भी फैल सकती हैं और कैसे तकनीक, जैसे CCTV और सोशल मीडिया, किसी भी मामले को सुलझाने में मददगार साबित हो सकती है।
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सात साल का यह बच्चा भले ही सही-सलामत घर पहुंच गया, लेकिन प्रशासन को अब इस बात की जिम्मेदारी लेनी होगी कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। खुले सीवर बंद हों, बारिश में बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष दिशा-निर्देश हों, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न दोहराई जाएं।