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दिल्ली MCD मेयर चुनाव: भाजपा ने राजा इकबाल सिंह को बनाया उम्मीदवार, AAP ने चुनाव से किया किनारा

दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए चुनावी सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने पत्ते खोलते हुए मेयर पद के लिए सरदार राजा इकबाल सिंह और डिप्टी मेयर पद के लिए भगवान यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया। वहीं दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव से दूरी बनाकर सबको चौंका दिया है।

🧑‍💼 कौन हैं राजा इकबाल सिंह?

राजा इकबाल सिंह का नाम दिल्ली की राजनीति में कोई नया नहीं है।

  • वह पहले उत्तर दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं।
  • GTB नगर से पार्षद चुने गए थे।
  • वह शिरोमणि अकाली दल से राजनीति में आए थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए।
  • 2020 में जब अकाली दल ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस लिया, तब उन्होंने पद से इस्तीफा देने से मना कर दिया। इसके कुछ महीनों बाद भाजपा ने उन्हें मेयर बनाया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा था जब वह अकाली दल से टूटे नेताओं को अपने पाले में ला रही थी।

🗳️ AAP का चुनाव से किनारा, कांग्रेस का पलटवार

दिल्ली में तीन वर्षों से MCD पर काबिज आम आदमी पार्टी ने इस बार मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारा
AAP नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि भाजपा “पीछे के दरवाज़े” से सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एमसीडी चुनाव जानबूझकर गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ कराए गए ताकि आप की ताकत को कमजोर किया जा सके।

उधर, कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह चुनाव से भागने की राजनीति है और जनता को उनके हाल पर छोड़ देने जैसा है।

📢 राजा इकबाल सिंह का बयान

भाजपा के उम्मीदवार राजा इकबाल सिंह ने कहा,

“यह दिल्ली की जनता की जीत है जो अब AAP सरकार से तंग आ चुकी है। ट्रिपल इंजन की सरकार बनेगी और दिल्ली का विकास तेज़ी से होगा। सिविक सेंटर में अब कमल ही खिलेगा।”

🧐 क्या कहती है राजनीतिक तस्वीर?

  • भाजपा ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है, लेकिन ‘आप’ के चुनाव से हटने के फैसले से मुकाबला अब लगभग एकतरफा हो गया है।
  • कांग्रेस इसे आम आदमी पार्टी की विफलता बता रही है, वहीं भाजपा इसे अपनी नीति की जीत मान रही है।

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दिल्ली की सियासत में मेयर चुनाव एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है। जहां भाजपा अपनी पकड़ मज़बूत करने में लगी है, वहीं आम आदमी पार्टी का चुनाव से हटना एक बड़े राजनीतिक संकेत की तरह देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि बिना विपक्ष के मुकाबले में भाजपा के उम्मीदवार किस तरह से जिम्मेदारियों को निभाते हैं और दिल्ली की नगर व्यवस्था में क्या बदलाव लाते हैं।

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