मध्य प्रदेश के गुना जिले में तैनात प्रशासनिक अमले ने एक मिसाल पेश की है। जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर देश की सुरक्षा में डटे सैनिक मनोज धाकड़ की पैतृक जमीन पर जब पड़ोसियों ने कब्जा कर लिया, तो प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई कर उन्हें उनका हक वापस दिलाया। यह कार्रवाई जिले के कलेक्टर के निर्देश पर की गई और इससे यह संदेश गया कि देश के रक्षकों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है मामला?
गुना जिले के विनायकखेड़ी ग्राम पंचायत के मुहालपुर गांव में सैनिक मनोज धाकड़ की पुश्तैनी जमीन है। मनोज इस समय भारतीय सेना में कार्यरत हैं और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर तैनात हैं। इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि उनके पड़ोसियों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है।
सैनिक ने कलेक्टर को भेजा ईमेल
इस पर सैनिक ने गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल को ईमेल कर मदद की गुहार लगाई। सैनिक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने एसडीएम शिवानी पाठक और तहसीलदार को तत्काल जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए।

मोबाइल कोर्ट ने की कार्रवाई
प्रशासनिक अमला तत्काल हरकत में आया और मुहालपुर गांव में ‘मोबाइल कोर्ट’ लगाई गई। कोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमणकारियों को जमीन से बेदखल कर दिया गया और वह जमीन सैनिक मनोज धाकड़ को वापस दिला दी गई। साथ ही पड़ोसियों को सख्त चेतावनी दी गई कि अगर वे दोबारा ऐसी हरकत करते हैं, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
परिवार में खुशी की लहर
इस कार्रवाई के बाद मनोज धाकड़ के परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। वे लंबे समय से इस ज़मीन विवाद को लेकर परेशान थे, लेकिन प्रशासन की तत्परता से उन्हें न्याय मिला। मनोज धाकड़ ने कलेक्टर और प्रशासन को धन्यवाद दिया है।
कलेक्टर का बयान
कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल ने कहा कि,
“हमारे सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। अगर उनके पीछे उनके परिवार या संपत्ति पर अन्याय होता है तो वह बेहद शर्मनाक है। हमने मोबाइल कोर्ट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि सैनिक का हक उसे मिले। आगे भी ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाएगी।”
जहां एक ओर देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले सैनिक सरहद पर लड़ रहे हैं, वहीं उनकी अपनी जमीन पर कब्जा किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन गुना प्रशासन की तेज़ कार्रवाई से यह उम्मीद बनी है कि सरकारी तंत्र अब ऐसे मामलों में सैनिकों और आम नागरिकों के हक में खड़ा है। यह कदम न केवल न्याय की जीत है, बल्कि समाज को एक स्पष्ट संदेश भी देता है — देश के रक्षक के साथ अन्याय नहीं चलेगा।
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