सिंगरौली (म.प्र.)
जहां एक ओर मध्यप्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में “नशा मुक्ति अभियान” चला रही है, वहीं सिंगरौली जिले के ग्राम पंचायत झोखो में यह अभियान मजाक बनकर रह गया है। यहां झोखो जीरो चौराहे पर खुलेआम अवैध शराब की तस्करी हो रही है, और वह भी स्थानीय पुलिस यातायात चौकी के सामने, जिससे कानून व्यवस्था और पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दिनदहाड़े शराब की खेप, छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर खतरा
स्थानीय लोगों ने बताया कि झोखो जीरो चौराहा, जहां से रोजाना सैकड़ों लोग गुजरते हैं, खासकर स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं, वह अब शराब तस्करी का अड्डा बन चुका है। इस चौराहे के बिल्कुल सामने पुलिस चौकी मौजूद है, लेकिन इसके बावजूद तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे दिनदहाड़े शराब की खेप उतारने में भी नहीं हिचकते।
शुक्रवार की सुबह भी कुछ तस्कर एक वाहन से शराब की खेप लेकर चौराहे पर पहुंचे। स्थानीय लोगों को जैसे ही इसकी भनक लगी, वे मौके पर पहुंचे, लेकिन इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, तस्कर मौके से फरार हो गए।
कर्थुआ शराब भट्टी से होती है सप्लाई
सूत्रों का कहना है कि यह अवैध शराब कर्थुआ स्थित सरकारी भट्टी से निकाली जाती है, और झोखो समेत आसपास के कई गांवों में इसकी चोरी-छिपे आपूर्ति की जाती है। शराब को छोटे-छोटे पैकेटों में गली-मोहल्लों, सार्वजनिक स्थलों और यहां तक कि स्कूलों के पास भी बेचा जा रहा है।
यह सब तब हो रहा है जब सरकार खुद शराब बिक्री पर नियंत्रण और युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए करोड़ों खर्च कर रही है। लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही या मिलीभगत के चलते ये सारे प्रयास विफल होते नजर आ रहे हैं।
पुलिस की चुप्पी, जनता में रोष
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब यह अवैध कारोबार पुलिस चौकी के सामने हो रहा है, तो पुलिस इसे रोकने में असमर्थ क्यों है?
क्या पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है या फिर जानबूझकर आंखें मूंद ली गई हैं?
स्थानीय नागरिकों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत इस क्षेत्र में जांच अभियान चलाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
नशा मुक्त भारत का सपना बन रहा है छलावा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई बार “नशा मुक्त भारत” की बात कही है। स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों में जागरूकता रैलियां, पोस्टर, अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन झोखो जैसी जगहों पर जब इस तरह से कानून का मजाक उड़ता है, तो यह सवाल खड़ा होता है –
क्या ये अभियान सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गया है?
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झोखो सहित पूरे सिंगरौली जिले में चल रहे इस अवैध नशा कारोबार पर रोक लगाने के लिए जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और मीडिया ने एक सुर में उच्च स्तरीय जांच और लगातार निगरानी की मांग की है।
सिर्फ कुछ पोस्टर और भाषणों से नशा मुक्ति संभव नहीं, जब तक पुलिस और प्रशासन ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे।