भोपाल।
मध्यप्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना’ (Medhavi Chhatra Yojana) में बड़ा बदलाव करते हुए अब निजी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को भी स्कॉलरशिप देने का फैसला किया है, लेकिन इसके साथ सरकार ने एक नई और अहम शर्त जोड़ दी है – छात्रों को 5 साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य सेवा देनी होगी। यदि छात्र सेवा नहीं करते हैं, तो उन्हें करीब 50 लाख रुपए तक की राशि दंडस्वरूप लौटानी पड़ेगी।
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि यह नया नियम कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किया गया है।
अब निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए भी स्कॉलरशिप
इस योजना के तहत अब निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने वाले छात्र को प्रदेश सरकार सरकारी मेडिकल कॉलेजों की अधिकतम फीस के बराबर शुल्क प्रतिपूर्ति (fee reimbursement) देगी। अगर कॉलेज की फीस इससे अधिक है, तो शेष राशि छात्र को ब्याज रहित लोन के रूप में दी जाएगी। यह बदलाव नीट में ऑल इंडिया 1.5 लाख रैंक के भीतर आने वाले विद्यार्थियों पर लागू होगा।
ग्रामीण सेवा अनिवार्य, नहीं तो कानूनी कार्रवाई
नए नियमों के मुताबिक, एमबीबीएस पूरा करने के बाद छात्र को 5 साल तक राज्य के तय ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करनी होगी। यदि कोई छात्र यह सेवा पूरी नहीं करता है, तो उसे दी गई लोन राशि वापस लौटानी होगी। यह राशि 50 लाख तक हो सकती है।
सरकार ने इस नियम को सख्ती से लागू करने का ऐलान किया है। तय सीमा में ग्रामीण सेवा नहीं देने पर कानूनी कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र केवल ढाई साल सेवा करता है, तो उसे 50% लोन राशि माफ मानी जाएगी। लेकिन यदि छात्र एक दिन भी ग्रामीण सेवा नहीं करता है, तो पूरी राशि वसूल की जाएगी।
अन्य कोर्सों में कोई बदलाव नहीं
इस योजना के तहत इंजीनियरिंग, लॉ, मैनेजमेंट आदि अन्य पाठ्यक्रमों में अभी कोई बदलाव नहीं किया गया है। इन कोर्सों में पूर्व की तरह छात्रों को आर्थिक सहायता जारी रहेगी।
पात्रता की प्रमुख शर्तें
- 12वीं में 75% (मध्यप्रदेश बोर्ड) या 85% (CBSE/ICSE) अंक लाना अनिवार्य।
- छात्र के अभिभावक की सालाना आय 6 लाख से कम होनी चाहिए।
- योजना केवल स्थायी रूप से मध्यप्रदेश निवासी छात्रों पर लागू होती है।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना
सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त बनाना है। प्रदेश में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए सरकार अब यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मेडिकल पढ़ाई में सरकारी निवेश का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों को भी मिले।
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यह फैसला राज्य सरकार की न्यायसंगत और व्यावहारिक नीति की ओर इशारा करता है, जहां मेधावी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मदद दी जा रही है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि समाज को भी इसका लाभ मिले। निजी मेडिकल कॉलेजों में महंगी फीस के बावजूद अब मेधावी छात्र शिक्षा का सपना पूरा कर सकेंगे – बशर्ते वे अपनी सेवा से ग्रामीण भारत को मजबूत करें।