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नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक, प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस घटाकर युवाओं को साधा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को लुभाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिसके तहत अब बिहार में होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रीलिम्स (प्रारंभिक परीक्षा) चरण में उम्मीदवारों से केवल 100 रुपये फीस ली जाएगी। सबसे बड़ी राहत यह है कि जो उम्मीदवार प्रीलिम्स पास कर मेन्स तक पहुंचेंगे, उनसे किसी तरह की फीस नहीं ली जाएगी।

यह फैसला उन लाखों युवाओं को सीधा लाभ देगा, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि चुनावी वर्ष में नीतीश कुमार का यह कदम युवाओं और नौकरी तलाशने वाले मतदाताओं को साधने की रणनीति है।

मेन्स तक पहुंचने वालों को पूरी छूट

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कैबिनेट में रखे गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई। इसके बाद अब नियम यह होगा कि केवल प्रारंभिक परीक्षा के लिए 100 रुपये देने होंगे और मेन्स में पास होने वाले उम्मीदवारों को कोई शुल्क नहीं देना होगा।

पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के जरिए इसका संकेत दिया था। उन्होंने लिखा था –
“राज्य सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रारंभिक परीक्षा की फीस को एक समान करने और अभ्यर्थियों को बड़ी रियायत देने का फैसला किया है। इसमें अब केवल 100 रुपये शुल्क लिया जाएगा और मेन्स परीक्षा में बैठने वालों से कोई फीस नहीं ली जाएगी।”

नौकरी देना सरकार की प्राथमिकता

फैसले की घोषणा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना उनकी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं को अवसर देने और उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार लगातार ठोस कदम उठा रही है।
उन्होंने दावा किया कि यह निर्णय भी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं में आर्थिक बोझ कम होगा और अधिक से अधिक युवा परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।

किन परीक्षाओं में मिलेगा फायदा?

इस फैसले का सीधा असर उन उम्मीदवारों पर पड़ेगा जो निम्नलिखित संस्थाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होते हैं –

  • बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC)
  • बिहार तकनीकी सेवा आयोग
  • बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (BSSC)
  • बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग
  • केंद्रीय सिपाही चयन बोर्ड

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह निर्णय चुनाव से पहले युवाओं को साधने की सोची-समझी रणनीति है।

चुनावी नजरिए से बड़ा दांव

विशेषज्ञों के मुताबिक, बिहार में बेरोजगारी हमेशा से बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस कम करके नीतीश कुमार ने सीधे उन लाखों युवाओं तक पहुंचने की कोशिश की है जो सरकारी नौकरी का सपना देख रहे हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला एक तरफ युवाओं के आर्थिक बोझ को घटाता है, वहीं दूसरी तरफ इसे चुनावी लाभ के लिए मास्टरस्ट्रोक भी माना जा रहा है।

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साफ है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने युवाओं पर सीधा दांव खेला है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस फैसले को किस तरह चुनौती देता है और युवाओं का रुझान किस ओर जाता है।

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